खनन पर्यटन को कौड़ी का लाभ नहीं, जितना कमाया उतना गंवाया

खनन पर्यटन को कौड़ी का लाभ नहीं, जितना कमाया उतना गंवाया

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-12 02:09 GMT
खनन पर्यटन को कौड़ी का लाभ नहीं, जितना कमाया उतना गंवाया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र के कामशेत में पैरासेलिंग के जरिए आकाश में उड़ान भरना और तारकरली बीच पर समुद्र की गहराई नापने के अलावा अब टूरिस्ट जमीन की सतह की समुद्र तल से नीचाई भी माप सकते हैं। एमटीडीसी यानि महाराष्ट्र पर्यटन विकास महामंडल ने नागपुर की कोयला खदानों को सैलानियों के लिए खोल दिया है। इसके पीछे मकसद पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही कोल वर्कर्स की कड़ी मेहनत को जनता तक पहुंचाना है। 

CM ने मानी PM के "मन की बात"

PM नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2016 में रेडियो पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम में माइन्स टूरिज्म यानी खनन पर्यटन को विकसित करने की बात की थी। लिहाजा CM देवेंद्र फडणवीस ने PM के मन की बात दिल पर ले ली। फडणवीस सरकार के पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल ने जनवरी 2017 में खनन पर्यटन का शुभारंभ किया, लेकिन संतरा नगरी आने वाले पर्यटकों में इसके प्रति खास रुचि दिखायी नहीं दी। नतीजतन 1 जनवरी से 5 मई 2017 तक 125 दिनों में खनन पर्यटन की केवल 13 फेरियां हो सकीं। जिनमें एमटीडीसी (महाराष्ट्र पर्यटन विकास महामंडल) को फूटी कौड़ी नहीं मिली। 

1.10 लाख रुपए 13 फेरियों में एमटीडीसी को मिले

84,500 रुपए बस किराए के रूप में भुगतान किया गया

25,500 रुपए पर्यटकों के खानपान और अन्य मदों में खर्च हुए

13 फेरियों में एमटीडीसी को 1.10 लाख रुपए प्राप्त हुए। इनमें 84 हजार 500 रुपए बस किराए के रूप में भुगतान किया गया। बचे हुए 25 हजार 500 रुपए पर्यटकों के खानपान और अन्य मदों में खर्च हुए। खनन पर्यटन के लिए पर्यटक को 650 रुपए का भुगतान करना पड़ता है। नुकसान से उबरने के लिए एमटीडीसी पर्यटकों से 700 रुपए वसूलने की तैयारी में है। पहले से एमटीडीसी को पर्यटक नहीं मिल रहे। किराया बढ़ने के बाद पर्यटकों के ‘मन की बात’ क्या होगी, यह समझ पाना आसान नहीं होगा।

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