भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सुस्त है एसीबी की रफ्तार

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सुस्त है एसीबी की रफ्तार

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-25 14:46 GMT
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सुस्त है एसीबी की रफ्तार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। घूस मांगे जाने पर लोगों से शिकायत की अपील करने वाली भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अब खुद इन्हीं शिकायतों के बोझ तले दबती नजर आ रही है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मिले आंकड़ों के मुताबिक करीब ढाई सालों में एसीबी को भ्रष्टाचार से जुड़ी 11332 शिकायतें मिलीं, लेकिन वह इनमें से सिर्फ 357 मामलों की जांच की गई और एफआईआर सिर्फ 5 मामलों में दर्ज हुई।

आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र घाडगे को एसीबी ने जो जानकारी उपलब्ध कराई है उसके मुताबिक साल 2015 से मई 2018 के बीच मुंबई विभाग में 11332 लिखित शिकायतें मिलीं। इनमें से सिर्फ पांच मामलों में एफआईआर दर्ज की गई। 7347 शिकायतों को एसीबी ने संबंधित विभागों को कार्रवाई के लिए स्थानांतरित कर दिया। इसके अलावा 134 मामले ऐसे हैं जिनकी छानबीन की जानी है। घाडगे के मुताबिक यह हाईकोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है जिसके मुताबिक शिकायतों की जांच एसीबी को ही करनी चाहिए।

सिर्फ 18 मामलों में दोष साबित

इसके अलावा एक परेशानी यह है कि एसीबी लोगों को घूस लेते हुए रंगेहाथों पकड़ तो लेती है लेकिन इसे अदालतों में साबित नहीं कर पाती। आंकड़ों के मुताबिक मुंबई विभाग में साल 2015 से मई 2018 तक सिर्फ 18 मामलों में दोषियों को सजा हुई जबकि 131 मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया। घाडगे के मुताबिक अगर भ्रष्टाचार निरोधक कानून पर कड़ाई से अमल किया जाए तो घूसखोरी के 90 फीसदी मामलों को रोका जा सकता है और हमें लोकपाल और लोकायुक्त की जरूरत ही नहीं होगी। लेकिन सरकारों में भ्रष्टाचार रोकने की इच्छाशक्ति ही नहीं है।     

 

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