महामारी के इस बड़े संकट में पर्यावरण के प्रति जागरुक हुए लोग 

महामारी के इस बड़े संकट में पर्यावरण के प्रति जागरुक हुए लोग 

Tejinder Singh
Update: 2021-05-04 15:29 GMT
महामारी के इस बड़े संकट में पर्यावरण के प्रति जागरुक हुए लोग 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के दौरान लगे लॉकडाउन और पाबंदियों के दौरान 52 फीसदी लोग पर्यावरण के प्रति ज्यादा जागरूक हो गए हैं। साथ ही पौधे लगाने, खरीदारी करने और ऊर्जा बचाने के प्रति भी लोग ज्यादा सचेत हुए हैं। गोदरेज समूह द्वारा हाल ही में कराए गए अध्ययन ‘द लिटिल थिंग्स वी डू’में ये बातें सामने आई हैं। लोगों की दिनचर्या, आदतों और हावभाव के विश्लेषण के जरिए 10 महीने के दौरान लोगों के जीवन में आए बदलाव का अध्ययन किया गया। इसमें खुलासा हुआ कि लॉकडाउन के दौरान 44 फीसदी लोगों ने अपने आसपास रहने वाले वंचितों की मदद की या सामुदायिक सेवा में सहयोग किया। आंकड़ों के मुताबिक बाहर निकलने पर लगी पाबंदियों के दौरान लोगों ने अपने रचनात्मक पक्ष को निखारने पर जोर दिया। इस दौरान करीब 23 फीसदी भारतीयों ने खाना पकाने, चित्रकारी करने, स्केच बनाने समेत रचनात्मकता के अपने दूसरे शौक पूरे किए जबकि 23 फीसदी से कुछ ज्यादा लोगों के लिए पुस्तकें पढ़ना और संगीत सुनना समय बिताने का सबसे अच्छा जरिया बना। बता दें कि पिछले साल फरवरी और मार्च के दौरान इंटरनेट पर केक बनाने का तरीका खोजने वालों में 238 फीसदी की वृद्धि हुई थी। अप्रैल महीने में खान बनाने का तरीका खोजने के लिए की वर्ड्स का इस्तेमाल 81 फीसदी बढ़ा जो मई महीने में 190 फीसदी तक और बढ़ गया।

रिश्तों में आया सुधार, स्वास्थ्य के प्रति हुए जागरूक

सर्वे में शामिल हुए 36 फीसदी लोगों ने माना कि परिवार के सदस्यों के साथ ज्यादा समय बिताने से उनके रिश्ते बेहतर हुए हैं। घर के काम के दौरान काम और जिंदगी के बीच संतुलन 29 फीसदी लोगों ने थोड़ी-थोड़ी देर में नियमित ब्रेक लेने की बात स्वीकारी, जबकि 16 फीसदी लोगों ने कहा कि घर से काम करने के दौरान उनकी प्रबंधन क्षमता बेहतर हुई है। गोदरेज समूह के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ ब्रांड एंबेसेडर तान्या दुबाश ने कहा कि अध्ययन से चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लोगों स्वभाव में आए बदलाव, परोपकार की भावना, खुद को नई चुनौैतियों के लिए तैयार करने की क्षमता के बारे में दिलचस्प खुलासे हुए हैं। साथ ही महामारी के हालात के चलते हमारे समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली में अहम भूमिका निभाने वाले रीति रिवाजों और संस्कारों की भी अहमियत सामने आई है। सर्वे में शामिल हुऐए 36 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्होंने इस दौरान बुरी आदतें छोड़ी हैं वहीं 58 फीसदी लोगों ने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करने की बात कही।

ये तथ्य भी आए सामने

•    55 फीसदी लोगों ने सैनिटाइजर, खाने के पैकेट, पुराने कपडे आदि जरूरतमंदों को दिए
•    40 फीसदी लोगों ने वंचितों को पैसे दिए
•    33 फीसदी महिलाओं ने खाना बनाने को आराम और खुशी की वजह बताया जबकि 19 फीसदी पुरुष ही ऐसा करके खुश थे।
•    लॉकडाउन के दौरान 46 फीसदी से ज्यादा लोगों ने जान पहचान के लोगों से जुड़े रहने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया।
•    29 फीसदी पुरुषों और 22 फीसदी महिलाओं ने टीवी देख कर मनोरंजन किया।


 

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