नवाचार - वन्यजीवों के गुस्से से स्टन गन बचाएगी रक्षकों की जान

नवाचार - वन्यजीवों के गुस्से से स्टन गन बचाएगी रक्षकों की जान

Bhaskar Hindi
Update: 2021-02-15 12:06 GMT
नवाचार - वन्यजीवों के गुस्से से स्टन गन बचाएगी रक्षकों की जान

बांधवगढ़ में पेट्रोलिंग पार्टी को गन देकर किया जा रहा नया प्रयोग, सफल होने पर बंदूक से लैस होंगे 175 पेट्रोलिंग पार्टी के 500 सुरक्षाकर्मी
डिजिटल डेस्क उमरिया ।
अरसे बाद बांधवगढ़ में जंगल व वन्यजीवों की रक्षा में खुद की जान जोखिम में डालने वाले वनरक्षकों को आत्मरक्षा के लिए अत्याधुनिक उपकरण मिलेंगे। इस मशीन का नाम स्टन गन है। बैटरी चलित यह उपकरण किसी दूसरी चीजों के संपर्क में आते ही तेज सायरन के साथ करंट झटके देता है। कुछ देर तक सामने वाला प्राणी चकित रह जाता है। तब तक एलर्ट होकर वनकर्मी अपनी जान बचा सकेंगे। यदपि यह कितनी सुरक्षा दे पाती है यह तो परवीक्षण अवधि के परिणाम तय करेंगे। फिर भी सब कुछ ठीक रहा तो बांधवगढ़ के 175 पेट्रोलिंग पार्टी के 500 से अधिक सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा पहले से पुख्ता हो जाएगी। सभी दल को एक-एक उपकरण मिलेगा।
1536 वर्ग किमी. में फैला घनघोर जंगल व 126 हिंसक प्राणी बाघों का ठिकाना, खुले जंगल में इनकी निगहबानी करना किसी चुनौती से कम नहीं है। ऊपर से बांधवगढ़ जैव विविधता का केन्द्र है। वन्यजीवों की 515 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमे 40 से अधिक जंगली हाथी, तेंदुआ, सियार, स्ट्राइप्ड हाइना जैसे घातक शिकारी पाए जाते हैं। हालांकि वनकर्मी भी पेट्रोलिंग के लिए प्रशिक्षित होते हैं। साथ ही ज्यादातर एरिया वाहन के साथ कवर किया जाता है। बारिश व गर्मियों में पैदल गश्त पर जोर होता है। इस दौरान उनके पास सिवाय डंडे, टॉर्च, जीपीएस डिवाइस के अलावा आत्मरक्षा के कोई उपकरण नहीं होते। इसलिए बरसात के समय में हमलों घटनाएं होती हैं। इसलिए पेट्रोलिंग पार्टी की सुरक्षा को पुख्ता करने इस पर विचार किया जा रहा है।
ऐसे काम करता है यह उपकरण
स्टन गन बैटरी से चलित डंडेनुमा उपकरण होता है। इसमे टॉच व सायरन लगा रहता है। बटन दबाते ही सायरन के साथ सामने वाले को इलेक्ट्रिक शॉट देती है। कुछ देर के लिए वह आश्चर्य चकित रह जाता है। इसकी पहुंच क्षमता करीब एक मीटर तक रहती है। इसका मुख्य उपयोग विदेशों की पुलिस करती है। खासबात यह भी है इलेक्ट्रिक छटका लगने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।
सुरक्षा दस्ते पर नजर 
बांधवगढ़ में बाघों की गश्त के लिए फुट पेट्रोलिंग, कैम्प के अलावा एप की मदद भी ली जाती है। इन माध्यमों से बाघों की ट्रैकिंग पर नजर रहती है। पर्यटन के सीजन में वैसे भी बाघ व शावक गाइड व पर्यटको दिखते रहते हैं। ज्यादा दिक्कत चार माह पार्क बंद रहने पर बरसात के समय होती है।  एक जानकारी अनुसार वर्तमान में लगभग 27 वायरलेस स्टेशन, 15 वाच टावर, 175 पेट्रोलिंग कैम्प, 39 बैरियर हैं। 525 से अधिक कर्मचारी सुरक्षा कार्य करते हंै। 
कभी सर्चिंग तो कभी कैम्प में जा चुकी है जानें
वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों की मानें तो अधिकतर केस में यदि बाघ से छेड़छाड़ न की जाए तो वह इंसान पर जल्दी आक्रमण नहीं करता। फिर भी जंगल में चौबीसों घंटे रहने वाले चौकीदार व वनकर्मी प्रशिक्षण के बाद भी जंगली जानवरों का निवाला बनते रहे हैं। अप्रैल 2020 में वनकर्मी चिंता बैगा ड्यूटी के दौरान बाघ का निवाला बन गया था। कैमरा ट्रैप लगाते समय, टंक्यूलाइज व बाघों की लड़ाई के दौरान सर्चिंग में बाघ वनकर्मियों पर हमला कर चुके हैं। इन घटनाओं में वनकर्मियों को गंभीर चोट से लेकर अपनी जानें भी गवानी पड़ चुकी हैं।
इनका कहना है -
 मुख्यमंत्री के बांधवगढ़ दौरे पर में इस प्रयोग के निर्देश मिले थे। वनमंत्री द्वारा भी इस संबंध में दिशा निर्देश दिया गया है। दिसंबर माह में हमने यह स्टन गनट्रायल के लिए मंगाई थी। फील्ड में भेजकर टेस्टिंग की जा रही है। यदि परिणाम सार्थक रहेंगे तो सभी पेट्रोलिंग पार्टी को एक-एक बंदूक आत्मरक्षा के लिए प्रदान की जाएगी।
विंसेंट रहीम, क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ उमरिया।
 

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