बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले डॉक्टर भेजा जेल, कोर्ट ने की अपील खारिज

बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले डॉक्टर भेजा जेल, कोर्ट ने की अपील खारिज

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-06 08:28 GMT
बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले डॉक्टर भेजा जेल, कोर्ट ने की अपील खारिज

डिजिटल डेस्क, सतना। मासूम बच्चों से अप्राकृतिक दुराचार करने के आरोपी डॉक्टर को सत्र अदालत ने राहत देने से इंकार कर सजा भुगताए जाने के लिए सेंट्रल जेल भेज दिया। नवम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगदीश अग्रवाल  की अदालत ने बच्चों के साथ हुए अप्राकृतिक दुष्कर्म को दृष्टिगत रखते हुए और अपराध के स्वरूप को देखते हुए सीजेएम कोर्ट द्वारा आरोपी को दी गई 3 साल की सजा की पुष्टि की है। 

बच्चों को टॉफी देने के बहाने क्लीनिक में बुलाता 

एजीपी राघवेंद्र सिंह ने बताया कि आरोपी डाक्टर भ्रष्टाचार निरोधक समिति का प्रदेशाध्यक्ष होकर आजाद चौक स्थित घर में क्लीनिक चलाता था। डॉक्टर के खिलाफ 10 अप्रैल 2017 को सिटी कोतवाली में पीड़ित लड़के के पिता ने लिखित रिपोर्ट दर्ज कराया था। पीड़ित के पिता ने बताया था कि आरोपी बच्चों को टॉफी देने के बहाने क्लीनिक में बुलाता है और उनके साथ अप्राकृतिक कार्य करता है। सिटी कोतवाली थाना पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भादवि की धारा 377, 506 और 511 का प्रकरण दर्ज किया। आरोपी को गिरफ्तार कर आरोप पत्र विचारण के लिए अदालत में पेश किया। सीजेएम डीआर अहिरवार की अदालत ने सुनवाई के बाद आरोपी को 7 फरवरी 18 को भादवि की धारा 377/511 का अपराध करने का दोषी मानते हुए 3 साल जेल और 2 हजार रूपए जुर्माने की सजा से दंडित किया था। आरोपी ने सजा से बचने के लिए सत्र न्यायालय में अपील दाखिल किया था। अपर सत्र अदालत ने अपील प्रकरण की सुनवाई कर आरोपी डाक्टर आत्मानंद पिता आर्यनंद श्रीवास्तव 65 वर्ष निवासी आजाद चौक की अपील खारिज कर आरोपी को सजा भुगताए जाने के लिए जेल भेजा है।

नामांतरण तभी, जब ऑनलाइन फाइल हो प्रकरण

शासन ने आम जनता की सुविधा और राजस्व प्रकरणों के निराकरण की गति बढ़ाने के लिए आरसीएमएस सुविधा शुरू की है, लेकिन इसी की आड़ में राजस्व कर्मचारी आम जनता को गुमराह कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सोमवार को रघुराजनगर की तहसील का सामने आया है। जब ऑनलाइन दायरा की आड़ में प्रकरण दायर करने से बाबू ने इंकार कर दिया। वसीयत के आधार पर नामांतरण का प्रकरण एक अधिवक्ता ने तहसील न्यायालय में पेश किया। रघुराजनगर तहसीलदार ने प्रकरण में रीडर (प्रवाचक) को दर्ज करने की टीप अंकित कर रीडर के पास भेज दिया, लेकिन रीडर ने प्रकरण लेने से इंकार कर दिया। रीडर ने कहा कि प्रकरण पहले ऑनलाइन बाहर जाकर दर्ज कराएं, तब प्रकरण लेंगे। अधिवक्ता ने तहसीलदार से मिलकर रीडर के कथन से अवगत कराया, लेकिन अधिवक्ता को कोई राहत नहीं मिली। 
 

Tags:    

Similar News