साइकल से मां वैष्णों धाम का सफर, 60 से 65 साल की उम्र और चेहरे पर थकान नहीं

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है साइकल से मां वैष्णों धाम का सफर, 60 से 65 साल की उम्र और चेहरे पर थकान नहीं

Tejinder Singh
Update: 2021-09-22 15:08 GMT
साइकल से मां वैष्णों धाम का सफर, 60 से 65 साल की उम्र और चेहरे पर थकान नहीं

डिजिटल डेस्क, अमरावती। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है, ऊंचे पर्वत पर रानी मां ने दरबार लगाया है…मन में कुछ यही गीत गुनगुनाते हुए दो दोस्त अपनी-अपनी साइकल पर सवाल होकर वैष्णों के धाम के लिए निकले हैं, जिनके पास कुछ सामान नहीं, साइकल के हैंडल पर गेंदा फूल का हार जरूर लटका देखा जा सकता है, जिसे देख सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों यात्रा पर निकले हैं। 60 से 65 साल ही उम्र और चेहरों पर थकान नहीं, मन में उत्साह और 1700 किलोमीटर लंबे सफर का रोमांच इन आंखों में साफ देखा जा सकता है। 

 

चाहते तो सफर थोड़ा आसान हो सकता था, युवाओं की तरह बाइक का इस्तेमाल करते, तो वक्त भी कम लगता, लेकिन जब दिल में चाह हो, तो राह आसान हो जाती है। इससे पहले भी ललित जोशी और अशोक भागवत नामक दोनो दोस्त कई यात्राएं कर चुके हैं। ललित जोशी ने गुजरात, राजस्थान, चिखलदरा, बुलढाणा तक सफर किया, हालांकि उनकी गुजरात यात्रा सबसे यादगार रही। जिसमे उन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, करो योग- रहो निरोग का नारा लगाया था, साइकल यात्रा पर निकले थे, जबकि उनके साथी अशोक भागवत भी धारणी से पुणे तक यात्रा कर चुके हैं। उन्होंने स्वच्छ भारत की तख्ती थाम साइकल यात्रा मुकम्मल की थी।

वैसे तो दोनों हर साल साइकल यात्रा पर निकलते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण पिछले वर्ष कहीं भी जा नहीं पाए थे। इस साल दोनों ने साथ यात्रा की शुरुआत की। अपने घर से सुबह निकले और कुसुमकोट कलमखार होते हुए धुलघाट पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। राम मंदिर में दर्शन कर अपने सफर पर रवाना हुए। मस्त हवाओं का एक झोंका, ये संदेशा लाया है…चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है।

जम्मू कश्मीर में वैसे तो मां वैष्णों के धाम में हर समय भक्तों का तांता लगा रहता था। 7 अक्टूबर 2021 से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं, ऐसे में कोरोना संक्रमण का साया भी मंडरा रहा है। दोनों दोस्तों ने उम्मीद जताई कि देवी मां संक्रमण रूपी राक्षस का जल्द ही वध करेंगी।

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