सतना : दो फर्जी आयकर अधिकारी गिरफ्तार, कई अधिकारियों को पहना चुके हैं टोपी

सतना : दो फर्जी आयकर अधिकारी गिरफ्तार, कई अधिकारियों को पहना चुके हैं टोपी

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-28 13:08 GMT
सतना : दो फर्जी आयकर अधिकारी गिरफ्तार, कई अधिकारियों को पहना चुके हैं टोपी

डिजिटल डेस्क, सतना। पन्ना पुलिस ने मैहर कस्बे में दबिश देकर शुक्रवार को 2 फर्जी आयकर अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपी अश्वनी सिंह पिता सोबरन सिंह (34) हाउसिंग बोर्ड कालोनी और विभूति सोनी पिता राजेन्द्र सोनी (32) को रंगलाल चौक पन्ना आरटीओ को जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे थे। इससे पहले दोनों जालसाज, फर्जी आयकर अधिकारी बन कर छत्तीसगढ़ के कोरबा, कोरिया, कवर्धा और रायपुर के आदिम जाति विभाग के आयुक्तों और जबलपुर के आरटीओ से 9 लाख रुपए से भी ज्यादा की रकम ठग चुके हैं। दोनों ठगों ने पन्ना आरटीओ को जाल में फंसाने से पहले दमोह, सागर, मंदसौर , और विदिशा के आरटीओ पर भी डोरे डाले थे लेकिन कामयाबी नहीं मिली थी।

ऐसे हुआ खुलासा  
पन्ना आरटीओ सुनील शुक्ला ने 21 दिसंबर को कोतवाली में इस आशय की लिखित शिकायत की थी कि उनके मोबाइल पर एक अज्ञात शख्स फोन लगाकर स्वयं को आयकर आफीसर बताता है। उसने वाट्सएप पर उनके विरुद्ध आयकर की एक ऐसी नोटिस भेजी है जो फर्जी लगती है। मामले को रफा-दफा करने के लिए वो शख्स आर्थिक लेन-देन की पेशकश भी कर रहा है। शिकायत पर एसपी विवेक सिंह ने जांच की जिम्मेदारी एडीशनल एसपी बीके सिंह परिहार को सौंपी। साइबर सेल को भी सक्रिय किया गया। शुक्रवार को आयकर के दोनों फर्जी अधिकारी अश्वनी सिंह और विभूति सोनी मैहर में गिरफ्तार कर लिए गए। दोनों के खिलाफ पन्ना कोतवाली में आईपीसी के सेक्सन 420,467, 468, 471 और 34 के तहत अपराध (क्राइम नंबर-798/18) दर्ज किया गया है।  

अश्वनी ने रची थी जालसाजी की साजिश  
पन्ना के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी 34 वर्षीय अश्वनी सिंह पिता सोबरन सिंह पुणे से एमबीए है। नौकरी नहीं मिलने के कारण विगत 7 वर्षों से वो जबलपुर में इंटर कैफे चला रहा था। कम्प्यूटर में एक्सपर्ट अश्वनी को इंटर कैफे के धंधे में नुकसान हुआ और उस पर 3 लाख का कर्ज चढ़ गया। यहीं से उसके अंदर फर्जीवाड़े से पैसा कमाने की ललक पैदा हुई। उसने इस जालसाजी में 32 वर्षीय अपने एक और साथी विभूति सोनी पिता राजेन्द्र सोनी निवासी रंगलाल चौक मैहर को भी शामिल कर लिया।

कटनी से खरीदी थी सिम
फर्जी आयकर अधिकारी बन कर अधिकारियों को ठगने के लिए अश्वनी ने ज्यादा पैसे देकर कटनी से एक सिम खरीदी थी। उसने कटनी में ही आयकर विभाग के आयुक्त के नाम से ज्यादा पैसे देकर सील भी बनवाई थी। इंटरनेट से अधिकारियों के नाम -पते और मोबाइल नंबर निकाले जाते थे और फिर कभी अश्वनी तो कभी विभूति संबंधित अधिकारियों को फर्जी नोटिस भेज देते थे। बाद में फर्जी आयकर अधिकारी बनकर बात करते थे और मामले को रफा-दफा करने के लिए लेन-देन की पेशकश करते थे।

रिक्शा चालक के नाम था बैंक खाता
बेहद शातिर किस्म के अश्वनी सिंह ने कटनी के एक रिक्शा चालक को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने का लालच देकर बैंक खाता खुलवाने में कामयाब हो गया था। उसने रिक्शा चालक का डेबिट कार्ड भी ये कह कर अपने पास रख लिया था कि डेबिट कार्ड जमा करने पर पैसा खाते में आएगा। ठगी की रकम इसी बैंक खाते में जमा कराई जाती थी। बाद में डेबिट कार्ड के माध्यम से पैसा निकाल कर अश्वनी और विभूति आपस में बांट लेते थे।

 

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