बस्ती में बाघों का मूवमेंट, बफर एरिया चिन्हित होने के बाद भी 10 गांव विस्थापित नहीं हो पाए

बस्ती में बाघों का मूवमेंट, बफर एरिया चिन्हित होने के बाद भी 10 गांव विस्थापित नहीं हो पाए

Bhaskar Hindi
Update: 2020-06-08 09:45 GMT
बस्ती में बाघों का मूवमेंट, बफर एरिया चिन्हित होने के बाद भी 10 गांव विस्थापित नहीं हो पाए

डिजिटल डेस्क उमरिया । बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के रिजर्व के पतौर रेंज में इंसानी हमले के दूसरे दिन भी गांव का माहौल गुमशुम रहा। चूंकि यह सीजन किसानों के लिए खरीफ फसलो की तैयारी का समय है। लोग अक्सर सुबह शाम खेतों में पहुंच रहे हैं। घटना की पुनरावृत्ति रोकने पतौर रेंज से लगे गांव में पार्क प्रबंधन जागरुकता कार्यशाला कराने का मन बना रहा है।    बांधवगढ़ से जुड़े वन्यजीव प्रेमियों की मानें तो इंसान व मानव के बीच द्वंद का बड़ा कारण यहां विस्थापन का शेष कार्य है। चूंकि आज भी बफर एरिया नोटीफाई होने के बाद इनके 10 गांव विस्थापित नहीं हो पाए। भू संबंधी अड़चनों के कारण फाइलें दफ्तर व न्यायालयों में रूकी हुई हैं। यही नहीं इतनी ही संख्या राजस्व प्रकरणों के लंबित होने की भी है। यानि अभी भी जंगल में हजारों की आबादी वन क्षेत्र में रहकर गुजर बसर करने मजबूर है। इस मजबूरी के बीच बीते चार साल में तकरीबन आठ लोगों की जान बाघ व वन्यप्राणियों के हमले में जा चुकी हैं। गौरतलब है कि 6 जून को पटेहरा गांव में पप्पू पाल पिता गिरधारी (40) को  टाइगर ने हमला कर घायल कर दिया था। युवक को जिला अस्पताल में उपचार किया जा रहा है। घटना के बाद पार्क प्रबंधन टाईगर की ट्रैकिंग करने में लगा है। हालांकि वन विभाग के अफसरों ने मादा बाघिन टी-55 के वहां होने से इंकार किया है। क्योंकि यह मादा काफी पहले शावक के साथ यहां थी। अब शावक काफी बड़े होकर खुद की टैरेटरी बना चुके हैं।
मूर्त रूप लेना बाकी है
इंसानों पर हमले को कम करने पार्क प्रबंधन का अपना अलग दावा है। बीटीआर प्रबंधन के मुताबिक चूंकि यहां का क्षेत्रफल 1536 वर्ग किमी में है। इसमे 120 से अधिक वयस्क बाघ व बाघिन हैं। इनके रहने के लिए 716 वर्गकिमी. का क्षेत्र कोर जोन के रूप में है। चूंकि यहां इनकी प्रजनन व संतानोत्पत्ति क्रियाएं होती हैं। इसलिए बाघ कोर एरिया में किसी इंसान की दखल बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते। कम रकबा द्वंद का कारण भी बन रहा है। इस दिशा में 820 वर्ग किमी. बफर एरिया, 2016 में सेंसटिव जोन को नोटीफाई किया गया। पक्के व व्यवसायिक निर्माण का प्रतिबंध भी है। फिर भी रसूखदारों के अतिक्रमण के चलते जंगल के भीतर कारीडोर बंद हो गए। लिहाजा बाघ अक्सर रिहायशी बस्ती की तरफ भटककर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

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