पति की मौत के समय 2 माह का गर्भ, ढाई साल बाद आई बच्चे के डीएनए टेस्ट की नौबत

पति की मौत के समय 2 माह का गर्भ, ढाई साल बाद आई बच्चे के डीएनए टेस्ट की नौबत

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-07 14:23 GMT
पति की मौत के समय 2 माह का गर्भ, ढाई साल बाद आई बच्चे के डीएनए टेस्ट की नौबत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। दो साल के बच्चे के पिता का पता लगाने के लिए मुंबई हाईकोर्ट ने अभियोजन पक्ष को बच्चे का DNA टेस्ट कराने की अनुमति दे दी है। ताकि बच्चे की मां पर लगे व्यभिचार के आरोप को साबित किया जा सके। अपनी पत्नी के विवाहेत्तर संबंधों से तंग आकर बच्चे के पिता ने आत्महत्या कर ली थी।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक पति शोरूम में काम करनेवाली अपनी पत्नी के प्रेमी से काफी त्रस्त था। पति ने जब आत्महत्या की थी तो महिला दो महीने की गर्भवती थी और वह पति से दूर रहती थी। पति की आत्महत्या के बाद पुलिस ने महिला व उसके प्रेमी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था। अभियोजन के दावे के मुताबिक बच्चे का जन्म महिला के अवैध संबंधों के चलते हुआ है। इसलिए अभियोजन पक्ष को बच्चे का DNA टेस्ट कराने की अनुमति दी जाए।

सरकारी वकील महेश अरोटे ने कहा कि महिला पर लगे व्यभिचार के आरोप को साबित करने के लिए DNA टेस्ट जरूरी है। बचावपक्ष के वकील ने DNA टेस्ट का विरोध करते हुए कहा कि इस टेस्ट का बच्चे के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ेगा। इस पर सरकारी वकील ने जस्टिस ए.एन शिरिसकर के सामने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि DNA टेस्ट कराया जा सकता है।

जस्टिस ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि DNA टेस्ट फोरेंसिक साइंस में काफी महत्वपूर्ण सबूत माना जाता है। इससे अपराधी को पकड़ने में मदद मिलती है। उच्च स्तरीय तकनीक का इस्तेमाल करके प्रमाणिक परिणाम पाए जा सकते हैं। जस्टिस ने कहा कि इस मामले में यदि बच्चे का DNA टेस्ट होता है तो इससे आरोपियों को कोई नुकसान नहीं होगा।

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