नहीं जाएगी जेएनपीटी के किसी कर्मचारी की नौकरी, शिवसेना सांसद बारणे की केंद्रीय मंत्री से हुई मुलाकात

नहीं जाएगी जेएनपीटी के किसी कर्मचारी की नौकरी, शिवसेना सांसद बारणे की केंद्रीय मंत्री से हुई मुलाकात

Tejinder Singh
Update: 2020-12-29 14:39 GMT
नहीं जाएगी जेएनपीटी के किसी कर्मचारी की नौकरी, शिवसेना सांसद बारणे की केंद्रीय मंत्री से हुई मुलाकात

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मंडाविया ने नई मुंबई स्थित जवाहरलाल नेहरू पत्तन न्यास (जेएनपीटी) के कंटेनर टर्मिनल के निजीकरण को लेकर बीच का रास्ता निकालने का आश्वासन दिया है। इसके लिए मंडाविया जनवरी महीने में जेएनपीटी में आएंगे। मंगलवार को शिवसेना के मावल सीट से सांसद श्रीरंग बारणे ने मंडाविया से नई दिल्ली में मुलाकात की। मंडाविया ने बारणे को आश्वस्त किया है कि जेएनपीटी के कंटेनर टर्मिनल के निजीकरण को लेकर बीच का रास्ता निकाल लिया जाएगा। 

उन्होंने भरोसा दिया है कि जेएनपीटी के किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाने दी जाएगी। जेएनपीटी के श्रम (मजदूर) ट्रस्टी तथा न्हावा शेवा बन्दरगाह के कामगार संगठन महासचिव भूषण पाटील ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में यह जानकारी दी। पाटील ने कहा ने हमने मंडाविया के सामने जेएनपीटी कंटेनर टर्मिनल के निजीकरण के विरोध में अपनी भूमिका रखी है। हमने जेएनपीटी कंटेनर टर्मिनल के सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत निजीकरण का विरोध किया है। जेएनपीटी के कर्मचारियों में भी निजीकरण को लेकर भारी नाराजगी है। हमारे सभी मुद्दों को मंत्री मंडाविया ने सुना है। पाटील ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि मंडाविया जेएनपीटी में आकर कुछ सकारात्मक फैसला करेंगे। 

पाटील ने कहा कि जेएनपीटी कंटेनर टर्मिनल का आधुनिकीकरण किया जा सकता है। क्योंकि जेएनपीटी आर्थिक रूप से सक्षम है। पाटील ने कहा कि कोरोना संकट सहित अन्य कारणों से जेएनपीटी थोड़े नुकसान में है। इस नुकसान की भरपाई की जा सकती है। जेएनपीटी कंटेनर टर्मिनल के निजीकरण का प्रस्ताव अफसरों के दिमाग की उपज है। 

भाजपा छोड़ सभी दल कर रहे विरोध

जबकि राकांपा के प्रदेश महासचिव प्रशांत पाटील ने कहा कि भाजपा को छोड़कर सभी दलों ने जेएनपीटी कंटेनर टर्मिनल के निजीकरण का विरोध किया है। अगर जेएनपीटी कंटेनर टर्मिनल का निजीकरण हुआ तो यहां के सभी 918 कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी। इस कारण जेएनपीटी के कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। जेएनपीटी के फैसले के विरोध में कर्मचारी 16 जनवरी से आंदोलन शुरू करने वाले हैं। पाटील ने कहा कि हमने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को इस मामले से अवगत कराया है। राकांपा के सांसद सुनील तटकरे की कोशिश पवार की मौजूदगी में दिल्ली में केंद्रीय मंत्री मंडाविया के साथ बैठक करने की है। 

निजीकरण के खिलाफ होगा बड़ा आंदोलन

उरण उत्कर्ष समिति के गोपाल पाटील ने कहा कि हम इतनी आसानी से जेएनपीटी कंटेनर टर्मिनल का निजीकरण नहीं होने देंगे। इसके लिए बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा। यदि जरूरत पड़ी तो हम लोग अदालत में जाएंगे। क्योंकि जेएनपीटी को किसानों से जमीन लेकर बनाया गया है लेकिन इसका उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया है। पाटील ने कहा कि जेएनपीटी के कर्मचारियों को भी कड़ा रूख अपनाना होगा। यदि जेएनपीटी के कर्मचारी वीआरएस (स्वै च्छिक सेवानिवृत्ति योजना) ले लेते हैं तो हमारी लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी। लेकिन हम लोग यह लड़ाई लड़ेंगे। पाटील ने कहा कि जेएनपीटी के लिए किसानों से जमीन ली गई थी। जमीन के बदले किसानों को 12.50 प्रतिशत जमीन उपलब्ध कराई जानी थी। लेकिन सरकार ने अभी तक किसानों को जमीन नहीं दी है। इसके अलावा परियोजना प्रभावित दो गावों का अभी तक पुनर्वास भी नहीं हो पाया है। 

बोर्ड की बैठक में मंजूर हुआ था प्रस्ताव

इससे पहले बीते 24 दिसंबर को जेएनपीटी के बोर्ड की बैठक में कंटेनर टर्मिनल के निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूर किया गया था। जेएनपीटी बोर्ड के 10 ट्रस्टियों में से मजदूरों का प्रतिनिधित्व करने वाले 2 ट्रस्टी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था लेकिन बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित हो गया था। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए अब पोत परिवहन मंत्रालय के पास भेजा जाना है। जेएनपीटी ने कर्मचारियों को विशेष वीआरएस देने का प्रस्ताव भी दिया है।
 

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