उज्ज्वला योजना के 76 हजार गैस कनेक्शन, नागपुर जिले के सांसद, विधायक-पार्षदों सहित एक लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं ने छोड़ी सब्सिडी
उज्ज्वला योजना के 76 हजार गैस कनेक्शन, नागपुर जिले के सांसद, विधायक-पार्षदों सहित एक लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं ने छोड़ी सब्सिडी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला (शहर व ग्रामीण) में लगभग 13 लाख 50 हजार गैस कनेक्शन है, जिनमें 1 लाख 781 उपभोक्ताओं ने गैस पर मिलनेवाली सब्सिडी छोड़ दी है। सरकार के गिव इट अप योजना के तहत यह सब्सिडी छोड़ी गई है। सरकार की तरफ से 14.25 किलो के एक सिलेंडर पर करीब दौ सौ रुपए सब्सिडी दी जाती है। केंद्र सरकार ने 2015 में गिव इट अप योजना लाई। योजना के तहत कोई भी गैस उपभोक्ता खुद होकर सब्सिडी छोड़ सकता है। इसके अलावा जिनकी सालाना आय 5 लाख से ज्यादा है, उन्हें भी सब्सिडी छोड़नी है। एचपीसीएल, बीपीसीएल व आईओसी के लगभग 13 लाख 50 हजार कनेक्शन है। सबसे ज्यादा लगभग 7 लाख 50 हजार गैस कनेक्शन एचपीसीएल के है। सरकार की तरफ से बार-बार किए जा रहे आह्वान के बाद जिले में 1 लाख 781 उपभोक्ताओं ने गैस पर मिलनेवाली सब्सिडी छोड़ी है। कंपनियों की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि गिव इट अप योजना का असर हुआ हैै। जिले में अब तक 1 लाख 781 उपभोक्ताओं ने गैस पर मिलनेवाली सब्सिडी छोड़ दी है। इसमें खुद होकर सब्सिडी छोड़नेवाले व ज्यादा आयवाले दोनों उपभोक्ता शामिल है। सब्सिडी छोड़ने से बचनेवाले निधि का उपयाेग राष्ट्रनिर्माण में हो रहा है। जिले के सभी सांसद, विधायक व पार्षदों ने खुद होकर गैस सब्सिडी छोड़ दी है।
इन कंपनियों के इतने उपभोक्ताओं ने छोड़ी सब्सिडी
एचपीसीएल 49815
आईओसी 29883
बीपीसीएल 21083
कुल 100781
हर महीने 2 करोड़ 15 लाख के राजस्व की बचत
एक उपभोक्ता को साल में 12 सब्सिडाइज्ड सिलेंडर मिलते है। एक सिलेंडर पर लगभग 200 रुपए सब्सिडी मिलती है। जिले में 1 लाख 781 उपभोक्ताओं ने सब्सिडी छोड़ी है। इस हिसाब से देखा जाए तो जिले में हर महीने 2 करोड़ 15 लाख 6हजार 2 सौ रुपए के राजस्व की बचत हो रही है।
ज्यादा आयवालों को पकड़ रहा सिस्टम
सरकार ने स्वेच्छा से सब्सिडी छोड़ने की अपील करते हुए सालाना 5 लाख से ज्यादा आयवालों को गैस पर मिलनेवाली सब्सिडी छोड़ना जरूरी है। ज्यादा आयवालों द्वारा सब्सिडी छोड़ने में सिस्टम की अहम भूमिका है। गैस एजेंसी में हर उपभोक्ता को केवायसी देना पड़ता है। इसमें आधार कार्ड के अलावा बैंक अकाउंट नंबर भी देना पड़ता है। उपभोक्ता की सालाना आय 5 लाख से ज्यादा होने पर सिस्टम इस बारे में जानकारी देता है। कंपनी समय-समय पर सिस्टिम में जारी अपडेट पर नजर रखती है।
जिले में उज्ज्वला योजना के 76 हजार गैस कनेक्शन
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत नागपुर समेत देश भर में गरीबोें को गैस कनेक्शन बांटे गए। जिले में अब तक 76 हजार गैस कनेक्शन दिए गए। साल में सब्सिडी के 12 सिलेंडर मिलते है, लेकिन इस योजना के लाभार्थियों ने साल में औसतन 4 ही सिलेंडर लेने की जानकारी सामने आई है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2016 में उत्तर प्रदेश से शुरू हुई। ऐसे गरीब जिनके नाम पर गैस कनेक्शन नहीं है औैर सरकार द्वारा किए गए सर्वे में उनकी आयु तय सीमा से कम है। पेट्रोलियम कंपनियो के मार्गदर्शन में हर जिले का कोटा तय किया गया। हालांकि यह कोटा समय-समय पर बढ़ते गया। जिले में इस योजना के तहत अब तक लगभग 76 हजार गैस कनेक्शन बांटे गए। शहर में करीब 25 हजार व ग्रामीण क्षेत्र में 51 हजार कनेक्शन दिए गए। ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी महिलाओं का जोर लकड़ियों पर ही भोजन बनाने में है। जिले के रिकार्ड पर नजर डाले तो औसतन 4 ही सिलेंडर उठाए जा रहे है। बाकी बचे 8 सिलेंडरों की सब्सिडी का लाभ लाभार्थी नहीं उठा रहे।
जिले में कुल गैस कनेक्शन
शहर व ग्रामीण में लगभग 13 लाख 50 हजार गैस कनेक्शन है। एचपी के सर्वाधिक 7 लाख 50 हजार कनेक्शन है। भारत पेट्रोलियम के लगभग 2 लाख 80 हजार व इंडियन आइल कारपोरेशन के करीब 3 लाख 20 हजार गैस कनेक्शन है। इसमें उज्ज्वला के लाभार्थियों पर नजर डाले तो एचपी के 31 हजार 5 सौ, बीपी के 24 हजार से ज्यादा व आईआेसी के 20 हजार से ज्यादा लाभार्थी है।
नहीं हो सकता कनेक्शन बंद
आईल कंपनियों द्वारा तय नियमों पर गौर करे तो लगातार 12 महीने सिलेंडर नहीं उठाने पर कनेक्शन लॉक किया जाता है। गैस एजेंसी को केवायसी (नो युवर कस्टमर) देने पर कनेक्शन अनलॉक (शुरू) हो जाता है। इसकारण अब तक जिले में उज्ज्वला योजना के किसी भी लाभार्थी का कनेक्शन बंद नहीं हो सका।
जिले में एजेंसियां
एचपी 49
बीपी 23
आईओेसी 33
बगैर सिलेंडर लिए उठा सकते हैं सब्सिडी का लाभ
सरकार की तरफ से हर उपभोक्ता को साल के 12 सब्सिडाइज्ड सिलेंडर मिलते है। सब्सिडी छोड़कर सिलेंडर की कीमत लगभग 510 रुपए पड़ती है। बगैर सिलेंडर उठाए भी सब्सिडी का लाभ लिया जा सकता है। मोबाइल से रिफील बुक करने के बाद सब्सिडी बैंक खाते में जमा हो जाती है। घर आए सिलेंडर को लौटाया जा सकता है।
लकड़ियां आसानी से उपलब्ध हो जाती है
उज्ज्वला योजना के समन्वयक कार्यालय से स्पष्ट किया गया कि अभी तक जिले में लगभग 76 हजार सिलेेंडर बांटे गए है। साल में 12 सब्सिडाइज्ड सिलेंडर मिलते है, लेकिन जिले में आैसतन 4 ही सिलेंडर उठाए जा रहे है। अधिकांश कनेक्शन ग्रामीण क्षेत्र में है आैर लाभार्थी गैस की अपेक्षा लकड़ियों को ही प्राथमिकता दे रहे है। गैस सिलेंडर के लिए एकमुश्त मूल्य चुकाना भी सिलेंडर नहीं उठाने का कारण है। ग्रामीण क्षेत्र में आसानी से लकड़ियां उपलब्ध हो जाती है। किसी लाभार्थी का कनेक्शन बंद नहीं किया गया।