पवार की भविष्यवाणी : चार राज्यों के चुनाव में बीजेपी की होगी करारी हार

पवार की भविष्यवाणी : चार राज्यों के चुनाव में बीजेपी की होगी करारी हार

Tejinder Singh
Update: 2021-03-14 14:09 GMT
पवार की भविष्यवाणी : चार राज्यों के चुनाव में बीजेपी की होगी करारी हार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। पवार ने कहा कि असम को छोड़कर बाकी चार राज्यों में भाजपा की हार होगी। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों का चुनाव परिमाण देश को नई दिशा देने वाला होगा। रविवार को पुणे के बारामती में पत्रकारों से बातचीत में पवार ने कहा कि पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार में सत्ताधारी भाजपा सत्ता का पूरा दुरुपयोग कर रही है। भाजपा पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए संघर्ष करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर राजनीतिक हमला कर रही है लेकिन पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी की सरकार बनेगी। पवार ने कहा कि बंगाल के लोग स्वाभिमानी होते हैं। बंगाली संस्कृति और मन पर किसी ने हमला करने का प्रयास किया तो पूरा राज्य एकजुट हो जाता है। पवार ने कहा कि केरल में राकांपा समेत माकपा एक साथ आई है। हमें केरल में स्पष्ट बहुमत मिलेगा। उन्होंने कहा कि तमिलनाडू में जनता डीएमके के अध्यक्ष एम के स्टालिन को समर्थन देगी। पवार ने कहा कि असम ने भाजपा की सरकार है। इसलिए वहां पर भाजपा की स्थिति दूसरे दलों की तुलना में अच्छी है। पवार ने कहा कि असम को छोड़कर बाकी चार राज्यों में भाजपा की हार होगी।

राज्यपाल पर केंद्र सरकार मूकदर्शक  

पवार ने विधान परिषद की राज्यपाल नामित 12 सीटों पर नियुक्ति के प्रस्ताव को राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी की ओर से मंजूर न किए जाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की भूमिका को लेकर केंद्र सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। पवार ने कहा कि लोकतंत्र और संवैधानिक जिम्मेदारी का पालन न करने वाला राज्यपाल महाराष्ट्र ने कभी नहीं देखा था। लेकिन वर्तमान राज्यपाल ने यह चमत्कार कर दिखाया। पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्हें तत्कालीन राज्यपाल से इसी तरह की शिकायत थी। पर अब उनके शासनकाल में महाराष्ट्र जैसे प्रदेश में राज्यपाल इसी तरह का काम कर रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य से केंद्र सरकार मूकदर्शक की भूमिका में है। पवार ने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से किसानों में बेचैनी है उसी तरह से संसद भी बेचैन है। संसद में सोमवार को किसानों का मुद्दा फिर से उठ सकता है। 

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