गुपचुप हो रही इंटरस्टेट कम्पीटीशन में अव्यवस्था के बीच है खिलाड़ी

गुपचुप हो रही इंटरस्टेट कम्पीटीशन में अव्यवस्था के बीच है खिलाड़ी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-31 14:14 GMT
गुपचुप हो रही इंटरस्टेट कम्पीटीशन में अव्यवस्था के बीच है खिलाड़ी

डिजिटल डेस्क, उमरिया। आदिवासी प्रतिभा को प्रदेश स्तर पर लाने आयोजित राज्य स्तरीय खो-खो व फुटबाल प्रतिस्पर्धा गुपचुप तरीके से स्टेडियम में शुरू हो गई। मीडिया व बिना आम नागरिकों को जानकारी दिए बुधवार को 17-19 आयु वर्ग मैचों के लिए विभिन्न प्रांतों से टीमें उमरिया पहुंची। शहडोल सांसद ज्ञान सिंह के मुख्यातिथ्य में प्रतिस्पर्धा का आगाज हुआ। प्रतिस्पर्धा में फुटबाल खो-खो के मुकाबलों के लिए पूर्वी क्षेत्र, मध्य, दक्षिण और पश्चिम की टीमें उमरिया पहुंची है। स्टेडियम में अपनी निर्धारित वेशभूषा में आदिवासी विभाग द्वारा औपचारिक शुरूआत की गई। बताया गया है दो दिवसीय आयोजन में पूर्वी क्षेत्र फुटबाल से बालक बालिका वर्ग में 36, खो-खो में 12-13, मध्य क्षेत्र से दोनो विधाओं में 29, 24 दक्षिण क्षेत्र में 29, 25 और पश्चिम क्षेत्र में 29,25 टीम शामिल हो रही हैं।

खिलाड़ियों को हो रही असुविधा

शामिल होने आये खिलाड़ियों ने बताया जहां उन्हें ठहरने के इंतजाम किये गये हैं, वहां अव्यवस्था बनी हुई है। सुबह नाश्ते से लेकर साफ पानी व कपड़ों का अभाव है। सामुदायिक भवन में ही आसपास गंदगी के चलते बीमारियों का खतरा बना हुआ है। गौरतलब है कि खेल विधाओं के लिए हर साल शासन विभाग को लाखों रुपए का बजट उपलब्ध कराती है लेकिन स्थानीय स्तर पर खिलाड़ियों के हक पर अधिकारियों की बदनीयतवश खिलाड़ियों को असुविधा झेलनी पड़ रही है।

संभागीय प्रतिस्पर्धा में होगा चयन

आदिवासी विभाग के चारों जोन से मैच के बाद चार सितंबर को राज्य स्तरीय शालेय प्रतिस्पर्धा के लिए टीम चुनी जायेगी। 21 जिलों से आये खिलाड़ी के ठहरने का इंतजाम सामुदायिक भवन और छात्राओं के लिए छात्रावास में व्यवस्था है। आज गुरुवार को चयनकर्ता टीम सलेक्ट कर नौ राजस्व संभाग के मैचों के लिए अंतिम टीम खो-खो व फुटबाल की चुनेंगे। इतने महत्वपूर्ण आयोजनों के लिए विभाग को प्रचार प्रसार की जरा भी जरूरत महसूस नहीं हुई।

तारीख बदलने से नहीं मिला मौका

आयोजक मण्डल आदिवासी विभाग द्वारा गुपचुप मैचों से नागरिकों द्वारा बदइंतजामी के आरोप लगाये जा रहे हैं। हालांकि इस संबंध में विभाग का अपना अलग तर्क है। आदिवासी विभाग अनुसार ऐन वक्त पर दो दिन पहले आयोजन की तिथि परिवर्तित कर दी गई। हालांकि वे अपने स्तर से प्रचार-प्रसार की बात कह रहे हैं।
 

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