जान जोखिम में डाल रेलवे के पाइंट्समैन ने बचाई बच्चे की जान, रेलमंत्री ने सराहा 

जान जोखिम में डाल रेलवे के पाइंट्समैन ने बचाई बच्चे की जान, रेलमंत्री ने सराहा 

Tejinder Singh
Update: 2021-04-19 15:12 GMT
जान जोखिम में डाल रेलवे के पाइंट्समैन ने बचाई बच्चे की जान, रेलमंत्री ने सराहा 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मध्य रेलवे के मुंबई विभाग में तैनात पाइंट्समैन मयूर शेलके ने अपनी जान जोखिम में डालकर रेलवे की पटरी पर गिरे छह साल के बच्चे की जान बचा ली। घटना 17 अप्रैल को वांगनी रेलवे स्टेशन पर हुई। मध्य रेलवे ने जैसे ही वीडियो ट्वीट किया यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों ने शेलके को बहादुरी का पुरस्कार देने की मांग की। रेल मंत्री पियुष गोयल ने भी शेलके की सराहना की साथ ही रेलवे के दूसरे अधिकारियों ने भी उन्हें सम्मानित किया। शेलके शनिवार शाम छह बजकर 25 मिनट पर वांगनी स्टेशन पर अपना काम कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने देखा कि एक नेत्रहीन महिला अपने बच्चे के साथ प्लेटफॉर्म के एकदम किनारे से गुजर रही थी। महिला को अंदाजा नहीं हुआ कि वह प्लेटफॉर्म के बिल्कुल किनारे पहुंच गई और उसका बच्चा पटरियों पर गिर पड़ा। नेत्रहीन मां बच्चे को खोजने की कोशिश करते हुए खतरे की आशंका से चिल्लाने लगी। इसी बीच उसी ट्रैक पर सामने से तेजी से उद्यान एक्सप्रेस आती दिखाई दी। बच्चे की जान खतरे में देखते हुए शेलके पटरियों पर कूदे और तेजी से भागते हुए बच्चे तक पहुंचे। कुछ सेकेंड में उन्होंने बच्चे को उठाकर प्लेटफॉर्म पर रखा और खुद भी ऊपर पहुंचने में कामयाब हो गए। ट्रेन और शेलके के बीच कुछ सेकेंड का फासला था। इसकी सीसीटीवी तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। रेलमंत्री पियुष गोयल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि उन्होंने खुद शेलके से बात की और बच्चे को बचाने के लिए उन्होंने जिस साहस का परिचय दिया उसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि इसकी पैसे से तुलना नहीं हो सकती है लेकिन शेलके को मानवता दिखाने के लिए पुरस्कार किया जाएगा। मध्य रेलवे के जनरल मैनेजर संजीव मित्तल और विभागीय रेलवे मैनेजर शलभ गोयल ने भी शेलके के साहस की सराहना की।

बच्चे को बचाने की खुशी

मयूर शेलके ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि वे बच्चे की जान बचाने में कामयाब रहे। इस दौरान उन्हें डर नहीं लगा। शेलके ने कहा कि मैं थोड़ी दूर पर काम कर रहा था। इसी दौरान महिला के चीखने की आवाज सुनी। बच्चे को पटरी पर देखकर मैं अपना सामान फेंककर पटरी पर दौड़ पड़ा। सामने से तेजी से ट्रेन आ रही थी लेकिन मुझे पूरा भरोसा था कि मैं बच्चे को बचा लूंगा। कुछ सेकेंड की देरी भी जानलेवा साबित हो सकती थी।  
 

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