वित्तीय स्थिति ठीक न होने के आधार पर गर्भपात की अनुमति देने से किया इंकार

वित्तीय स्थिति ठीक न होने के आधार पर गर्भपात की अनुमति देने से किया इंकार

Anita Peddulwar
Update: 2020-07-08 13:58 GMT
वित्तीय स्थिति ठीक न होने के आधार पर गर्भपात की अनुमति देने से किया इंकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। वित्तीय स्थिति ठीक न होना गर्भपात की अनुमति मांगने का कानूनी आधार नहीं हो सकती है। यह बात कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक 39 वर्षीय विवाहित महिला को 23 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति देने से इंकार कर दिया। महिला ने याचिका में दावा किया था कि कोरोना के चलते घोषित लॉकडाउन के चलते वह समय पर डॉक्टर से संपर्क नहीं कर सकी है। इसके अलावा उसकी ओर से किए गए गर्भनिरोधक उपायों की विफलता के चलते वह गर्भवती हुई है। इस लिहाज से यह अनचाहा गर्भ हैं। मानसिक रुप से वह गर्भधारण के लिए तैयार नहीं है। इसके साथ ही उसकी वित्तीय स्थिति भी ठीक नहीं है। नियमानुसार 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण का गर्भपात अदालत की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। इसलिए महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 

न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील एम पी ठाकुर ने कहा कि गर्भपात के लिए महिला ने जो कारण दिए है, उनका कोई कानूनी आधार नहीं है। इसके अलावा याचिका कर्ता महिला पहली बार गर्भवती हुई है। इसलिए उसके भ्रूण को अनचाहा गर्भ नहीं कहा जा सकता हैं। मेडिकल बोर्ड ने भी गर्भपात की सलाह नहीं दी है। 

इन दलीलों को सुविधाएं के बाद खंडपीठ ने कहा कि महिला की उम्र 39 साल है। ऐसे में उसे गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती हैं। खंडपीठ ने महिला के वित्तीय स्थिति ठीक न होने के तर्क को भी अस्वीकार कर दिया। और याचिका को खारिज कर दिया। 

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