रॉयल सुंदरम हेल्थ इंश्योरेंस ने की कटौती बीमित पहुंचा बीमा लोकपाल के पास

जिम्मेदार अधिकारी कर रहे हमारे साथ गोलमाल रॉयल सुंदरम हेल्थ इंश्योरेंस ने की कटौती बीमित पहुंचा बीमा लोकपाल के पास

Safal Upadhyay
Update: 2022-06-01 10:27 GMT
रॉयल सुंदरम हेल्थ इंश्योरेंस ने की कटौती बीमित पहुंचा बीमा लोकपाल के पास

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। बीमा कंपनी ग्राहको को सारी सुविधाएं देने का वादा तो करती है पर निभाने की बात आती है तो चुप्पी साधकर बैठ जाते हैं। अस्पताल में पॉलिसी धारक इलाज के लिए जाता है तो कैशलेस से मना कर दिया जाता हैं। सारे बिल देने के बाद जब क्लेम लेने के लिए चिकित्सक की रिपोर्ट व बिल सम्मेट किया जाता है तो बीमा कंपनी के जवाबदार खामियां निकालना शुरू कर देते हैं। बीमित दस्तावेज प्रस्तुत करता है तो उसे मानने तैयार नही होते है। अब तो स्थिति यह हो गई है कि बीमा कंपनी प्रीमियम लेने के बाद पॉलिसी तक नही दे रही है। पॉलिसी के लिए बीमा कंपनी में मेल किया जाता है तो वहां से किसी तरह का जवाब नही आता है। परेशान होकर पॉलिसी धारक न्याय की गुहार लगा रहे है पर बीमा अधिकारी सुनने के लिए तैयार नहीं है। अब पॉलिसी धारक कंज्यूमर कोर्ट के साथ ही बीमा लोकपाल के समक्ष शिकायत देकर बीमा कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई करने व राशि दिलाने की मांग कर रहे है। 

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-

इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा। 

कोरोना का भुगतान पूरा करने में कर रहे आनाकानी-

सिविल लाइन निवासी संतोष कुमार सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने रायल सुंदरम जनरल इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा की पॉलिसी ली थी। पॉलिसी लेते वक्त बीमा अधिकारियों ने कहा था कि हम आपको प्रत्येक बीमारी का लाभ देगे। लिंक अस्पताल में कैशलेस का सुविधा दी जाएंगी। अन्य अस्पताल में इलाज कराने पर बिल सम्मेट करने पर सारा भुगतान हमारी कंपनी करेंगी। बीमित अप्रैल 2021 में कोरोना संक्रमण का शिकार हो गया था। कोरोना के कारण बीमित को निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होना पड़ा था। इलाज के दौरान कैशलेस के लिए मेल किया गया तो बीमा कंपनी ने सुविधा देने से इंकार कर दिया। बीमित को लाखों रूपए इलाज के लिए देना पड़ा। उपचार के बाद ठीक होने के बाद जब पॉलिसी धारक ने अस्पताल की रिपोर्ट, बिल बीमा कंपनी में ऑन लाइन व ऑफ लाइन सम्मेट किए तो उसमें अनेक क्वेरी निकाली गई। बीमित ने नियम के अनुसार सारे दस्तावेज सत्यापित कराकर दिए पर बीमा अधिकारियों के द्वारा किसी तरह का जवाब नही दिया गया। बीमित को बीमा लोकपाल में शिकायत करना पड़ी। लोकपाल में शिकायत होने पर आधा भुगतान बीमा कंपनी ने किया। बीमित ने पूरी राशि का भुगतान करने को कहा तो बीमा अधिकारियों ने इंकार कर दिया। अब बीमित को फिर से बीमा लोकपाल के समक्ष फिर से आवेदन देना पड़ा। बीमित का आरोप है कि क्लेम न देना पड़े इसके लिए अनेक षडय़ंत्र बीमा कंपनी करती है और पॉलिसी धारक को हताश किया जाता है। वहीं बीमा अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उनके द्वारा किसी तरह का जवाब नही दिया जा रहा है।
 

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