सतना में है मिथेन गैस और सोडियम सल्फेट का भंडार

सतना में है मिथेन गैस और सोडियम सल्फेट का भंडार

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-25 08:09 GMT
सतना में है मिथेन गैस और सोडियम सल्फेट का भंडार

डिजिटल डेस्क, सतना। लाइम स्टोन, बॉक्साइड, लेट्राइट जैसे खनिजों के लिए देश भर में मशहूर सतना जिले की रत्नगर्भा धरती में प्राकृतिक (मिथेन गैस) तथा सोडियम सल्फेट जैसे खनिज भी हाल ही में पाए गए हैं। जिप्सम मानते हुए साल भर पहले उसकी  सेम्पलिंग सहायक खनिज अधिकारी पवन कुशवाहा और उनकी टीम के सदस्यों ने 8 फरवरी 2018 को की थी। जबकि खटकरी गांव में एक किसान के ट्यूबवेल से निकली ज्वलनशील मिथेन गैस की सेम्पलिंग ओएनजीसी नई दिल्ली के अधिकारियों ने की थी।

गांधी ग्राम से संकलित नमूने को खनिज विभाग के जबलपुर लेबोरेट्री में जांच के लिए भेजा गया था। ओएनजीसी के वैज्ञानिक मिथेन गैस की जांच खुद ही करके जिला प्रशासन को रिपोर्ट दे चुके हैं। फिलहाल दोनों ही जगहों को आरक्षित कर दिया गया है। इन जगहों पर अभी तक किसी के जाने की अनुमति नहीं है। हैरानी की बात यह कि आज तक इन रिपोर्टों का पता ही नहीं चला कि कहां चली गईं। वैसे सोडियम सल्फेट नामक खनिज का कोई विशेष उपयोग नहीं किया जाता, यह एक रासायनिक क्रिया का परिणाम होता है।

400 फिट नीचे गैस का भंडार
खनिज विभाग के अधिकारियों ने 9 नवम्बर 2017 को अन्वेषक ओएनजीसी लिमिटेड ऊर्जा भवन नई दिल्ली को पत्र लिखकर रामपुर बाघेलान तहसील के खटकरी गांव में अक्षांश 24,25,55 तथा देशांतर 81, 02, 46 के मध्य एक किसान द्वारा कराए गए ट्यूबवेल से ज्वलनशील गैस के रिसाव की जानकारी भेजी थी। सूचना मिलते ही वहां से तत्काल 2 वैज्ञानिकों का दल खटकरी गांव पहुंचा और गैस का परीक्षण कर उसकी सेम्पलिंग की।

फिलहाल इस जगह को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इसी प्रकार गांधी ग्राम में चौधरी परिवार द्वारा कराए गए ट्यूबवेल से पानी के साथ सफेद रंग का कोई खनिज निकलता है। खनिज विभाग के अधिकारियों की राय थी कि किसान के कुएं से जो पदार्थ निकल रहा है वह जिप्सम हो सकता है। इसकी सच्चाई जबलपुर लेबोरेट्री में रेस्टिंग के बाद सामने आ गई।

इनका कहना है
खटकरी में एक ट्यूबवेल से निकलने वाली ज्वलनशील गैस मिथेन ही है। इसकी जांच ओएनजीसी के विशेषज्ञों द्वारा की जा चुकी है। जबकि गांधी ग्राम में किसान के कुएं से निकले सफेद रंग का खनिज सोडियम सल्फेट साबित हुआ। इसका कोई विशेष उपयोग नहीं है।
पवन कुशवाहा, सहायक खनिज अधिकारी

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