राज्य सरकार की दलील : कोरोना के चलते लागू नहीं हो सका गर्भपात से जुड़ा यह कानून

राज्य सरकार की दलील : कोरोना के चलते लागू नहीं हो सका गर्भपात से जुड़ा यह कानून

Tejinder Singh
Update: 2021-05-11 12:44 GMT
राज्य सरकार की दलील : कोरोना के चलते लागू नहीं हो सका गर्भपात से जुड़ा यह कानून

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि केंद्रीय कानून मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) में हाल ही में किए गए संसोधन को अभी तक कोरोना के चलते केंद्र सरकार ने लागू नहीं किया है। एमटीपी कानून में किए गए संसोधन के तहत गर्भपात की अवधि को 20 से 22 सप्ताह तक के लिए बढ़ाया गया है। 25 मार्च 2021 को एमटीपी संशोधित विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली हैऔर केंद्र सरकार ने भी इसे अधिसूचित किया है। लेकिन कोरोना के चलते अभी तक इस अमलीय जामा पहनाने में देरी हो रही है। सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने न्यायमूर्ति के के तातेड़ व न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ को यह जानकारी दी है। 

खंडपीठ के सामने तीन याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। जिसमें गर्भपात की अनुमति मांगी गई है। तीन में से दो याचिकाओ में भ्रूण की उम्र 22 सप्ताह है। गर्भस्थ भ्रूण के शरीर में स्वास्थ्य से जुड़ी कई विसंगतिया हैं। इसलिए भ्रूण के गर्भपात की इजाजत मांगी गई है। जबकि तीसरी याचिका में जुड़वा भ्रूण के गर्भपात की अनुमति मांगनेवाली दुष्कर्म पीड़िता हैं। उसका भी भ्रूण 20 सप्ताह से अधिक है।याचिकाओं पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि साल 2021 में एमटीपी में किए गए संसोधन के पहले गर्भपात की अवधि 20 सप्ताह थी। जिसे बढ़ाकर कर 22 सप्ताह कर दिया गया है। खंडपीठ ने इस ओर सरकारी वकील का ध्यान दिलाते हुए कहा कि इस संसोधन के चलते दो याचिकाकर्ताओं को कोर्ट की अनुमति की जरुरत नहीं है। 

इस पर सरकारी वकील कंथारिया ने कहा कि संसोधन को अब तक अमल में नहीं लाया गया है। कोविड के चलते इसमें देरी हुई है। सरकारी वकील से मिली जानकारी के बाद खंडपीठ ने तीनों याचिकाकर्ताओ को अपनी पसंद के अस्पताल में गर्भपात की इजाजत दे दी। खंडपीठ ने तीसरी याचिकाकर्ता के संदर्भ मेंसरकारी वकील को पुलिस को जानकारी देने को कहा है। जिससे पीड़िता को मनोधैर्य योजना के तहत वित्तीय सहयोग मिल सके। 

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