टीबी: एक लाख आबादी के बीच दो सौ रोगी

टीबी: एक लाख आबादी के बीच दो सौ रोगी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-13 08:12 GMT
टीबी: एक लाख आबादी के बीच दो सौ रोगी

डिजिटल डेस्क, सतना। टीबी जैसी जानलेबा बीमारी की रोकथाम के बड़े-बड़े दावों के बीच एक सच यह भी है कि जिले में पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिला मुख्यालय को छोड़कर जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में टीबी से पीड़ित मरीजों के इलाज में सिर्फ कागजी गोलमोल किया जा रहा है। मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों में इलाज कराने जाना पड़ता है। मैदानी अमले पर जिला मुख्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों का जरा सा भी भय नहीं है। अधिकांश ब्लॉकों में तो टीबी पीड़ित मरीजों की पहचान ही सही तरीके से नहीं की जा रही। खुद स्वास्थ्य विभाग ही इस बात को मान रहा है कि जिले के मैहर,अमदरा की हालत सबसे खराब है। बड़ी बात तो यह है कि यहां हर साल संचालनालय द्वारा दिए गए लक्ष्य के मुकाबले उपलब्धि अधिक पहुंच जाती है। इसके साथ मझगवां और अमरपाटन में भी हालात इसी प्रकार मिल रहे हैं। हर साल दर्जनों मरीजों की टीबी से मौत भी हो जाती है लेकिन स्वास्थ्य विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगती।

 खुले हैं 26 जांच केन्द्र

बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्र के संभावित मरीजों को जांच कराने दूर दराज नहीं जाना पड़े इसके लिए सीएचसी, पीएसची को मिलाकर मरीजों के बलगम की जांच के लिए जिले भर में कुल 26 जांच केन्द्र बनाए गए हैं। टीबी की रोकथाम को लेकर संचालित क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में जिले का मैदानी अमला लापरवाही कर रहा है। खुद विभाग के अधिकारी ही इस बात को मान रहे हैं कि फील्ड का अमला अगर इमानदारी से काम करे तो टीबी के मरीजों की संख्या और बढ़ेगी। बताया गया है कि कर्मचारियों की लापरवाही के चलते जिले में टीबी madhyपीड़ित मरीजों का सहीं आंकड़ा सामने नहीं आ रहा है।

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