राज्य में प्रतिवर्ष बढ़ रहा बाघों की मौत का आंकड़ा , 5 वर्ष में 89 बाघों की मौत

राज्य में प्रतिवर्ष बढ़ रहा बाघों की मौत का आंकड़ा , 5 वर्ष में 89 बाघों की मौत

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-13 10:24 GMT
राज्य में प्रतिवर्ष बढ़ रहा बाघों की मौत का आंकड़ा , 5 वर्ष में 89 बाघों की मौत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वन विभाग भले ही बाघों को बचाने के लिए सैकड़ों उपाय योजना करता हो, लेकिन बाघों के मौत का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही चंद्रपुर जिले में एक बाघ की नदी की चट्टानों के बीच फंसने से मौत हो गई। आंकड़ों की बात करें तो महाराष्ट्र में वर्ष 2015 से अब तक 89 बाघों की विभिन्न कारणों से मौत हुई है। जिसमें नैसर्गिक मौत के साथ मुसीबत में फंसे बाघों को निकालने में वन विभाग के नाकाम होने का कारण भी शामिल है। हालांकि इसके विपरीत बाघों की संख्या बढ़ने का दावा भी वन विभाग ने किया गया, लेकिन पशुप्रेमियों और जानकारों का मानना है कि इसी तरह बाघों की मौत होती रही, तो बढ़ती संख्या घटने में देर नहीं लगेगी। 

एक नजर आंकड़ों पर
2015 की बात करें तो पूरे राज्य में 14 बाघों की मौत विभिन्न कारणों से हुई थी। वहीं वर्ष 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 16 पर पहुंच गया है। वर्ष 2017 में तो आंकड़ा 22 पर पहुंच गया। वहीं इसके बाद यानी वर्ष 2018 को भी इतने ही बाघों की मौत दर्ज हुई है। इस वर्ष भी यह आंकड़ा थोड़ा ही कम हो सका है। जनवरी से अब तक 15 बाघों की मौत दर्ज हुई है। चंद्रपुर में पूरे साल की बात करें तो कुल 8 बाघों की मौत हुई। हालांकि दूसरा नंबर अमरावती क्षेत्र का है, जहां इस साल 3 बाघों की मौत दर्ज है। इसी तरह नागपुर भी इससे अछूता नहीं है। बाघों की मौत होने में यवतमाल व भंडारा क्षेत्र भी शामिल हैं।
 

 

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