परदेश में हैं जिनके बच्चे! उन परिवारों का क्या है हाल 

परदेश में हैं जिनके बच्चे! उन परिवारों का क्या है हाल 

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-02 10:06 GMT
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डिजिटल डेस्क  सतना। कोरोना वायरस के संक्रमण की वैश्विक महामारी के बीच यहां अपने घरों में सुरक्षित उन परिवारों का क्या हाल है,जिनके बच्चे सात संमदर पार परदेश में हैं। बुधवार को दैनिक भास्कर की टीम ने यहां इन्हंीं एहसासों से दो-चार होने के लिए कतिपय ऐसे परिवारों से फोन पर बात की। कमोबेश सभी परिजन इस मामले में बेफिक्र हैं। सभी ने कहा कि वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए हर दो-चार दिन में बात होती है, सभी सुरक्षित और सुख से हैं।  
 3 माह से वर्क फ्रॉम होम :----
 जल संसाधन के सेवानिवृत्त एसडीओ एमके श्रीवास्तव की बेटी सौम्या अमेरिका के डैलॉस में है। सौम्या, तीन साल पहले मास्टर आफ साइंस की पढ़ाई के लिए अमेरिका गई थीं। अब वहीं एक साल से जॉब में हैं। नेटवर्क सिस्टम की इंजीनियर सौम्या श्रीवास्तव के मुताबिक उन्हें कंपनी ने जनवरी में ही वर्क फ्रॉम होम पर भेज दिया था। उन्होंने बताया कि जरुरत के सामान की खरीदी ऑनलाइन बुकिंग के जरिए होती है। बुकिंग के बाद संबंधित रिटेल स्टोर डिलेवरी का टाइम देते हैं। टाइम पर जाने पर कार से उतरना नहीं होता। शॉप के कर्मचारी कार की पिछले गेट से सामान लोड कर देते हैं।  सामान को 6 से 7 घंटे घर के बाहर रखा जाता है। इसके बाद ही उसका उपयोग किया जाता है। 
 इसी माह आना था स्वदेश :------
 सतना मोटर टं्रासपोर्ट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मनोहर लाल गुप्ता के दोनों बेटे इंग्लैंड में और बेटी अमेरिका में है। बेटी डैलॉस में वर्ष 2006 से आईटी इंजीनियर हैं। जबकि बड़ा बेटे अनुराग वर्ष 2009 से इंग्लैंड के फ्लॉग और छोटे बेटे अभिषेक मिल्टन किंग्स में वर्ष 2011 से हैं। इनकी कंपनियों ने भी एक माह पहले सभी को वर्क फ्रॉम होम कर दिया है। स्थितियां सामान्य हैं। सभी को अप्रैल में यहां आना था,लेकिन कोरोना के वैश्विक संक्रमण ने राह रोक रखी है।  किराना व्यापारी संघ के अध्यक्ष रामऔतार चमडिय़ा के भतीजे शुभम चमडिय़ा 5 वर्ष से अमेरिका के बोस्टन में साइंटिस्ट हैं। श्री चमडिय़ा कहते हैं, शुरु में चिंता होती थी,मगर अब हालात सामान्य हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अक्सर बात होती है।  
अमेरिका में बेटी-दामाद :-----
ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजू परवंदा की बेटी और  दामाद पुष्कर व्यास अमेरिका के मिशीगन शहर में हैं। दामाद वहां 9 साल से आटोमोबाइल इंजीनियर हैं। जबकि बेटी एक साइबर सिक्योरिटी में इंजीनियर हैं। अेमरिकन गर्वमेंट की गाइड लाइन पर दोनों एक माह से घर से काम कर रहे हैं। परवंदा परिवार को भी वहां की सरकार ने 3 का इंतजाम घर पर ही कर लेने का अलर्ट दिया था। श्री परवंदा ने बताया कि आवश्यक वस्तुओं के लिए ऑनलाइन आर्डर करना होता है। ऑनलाइन कंपनी  कालोनी के गेट पर सामान पहुंचाती है। सामान को सैनिटराइज किया जाता है।  फिर  7-8 घंटे तक धूप में रखा जाता है। इसके बाद ही उसके उपयोग की अनुमति होती है। उनकी यहां प्राय: वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बात होती है।  
 

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