उपार्जन केन्द्रों से नहीं हो पा रहा गेहूं का परिवहन, 29 केन्द्रों में 40 हजार क्विंटल की आवक

उपार्जन केन्द्रों से नहीं हो पा रहा गेहूं का परिवहन, 29 केन्द्रों में 40 हजार क्विंटल की आवक

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-05 08:31 GMT
उपार्जन केन्द्रों से नहीं हो पा रहा गेहूं का परिवहन, 29 केन्द्रों में 40 हजार क्विंटल की आवक

डिजिटल डेस्क उमरिया । जिले में केवल गेहूं का उपार्जन ही मंथर गति से नहीं हो रहा है बल्कि उसका परिवहन भी मंथर गति से हो रहा है। अब तक जिले के 30 में से 29 उपार्जन केन्द्रों में कुल 40 हजार क्विंटल का उपार्जन हो पाया है। इसमें से कुल 27 हजार क्विंटल का परिवहन हुआ है। शेष 13 हजार क्विंटल गेंहू उपार्जन केन्द्रो में पड़ा है। ज्ञातव्य है कि उपार्जन केन्द्रों में समितियों केे पास भी गेहूं को सुरक्षित रखने की पर्याप्त जगह नहीं है। गेहूं खुले आसमान के नीचे रखा रहता है। बिलासपुर केन्द्र ऐसा है जहां आज तक उपार्जन शुरू नहीं हो सका है। उपार्जन के उपरांत गेहूं को उमरिया तथा मानपुर कैबों में खुले आसमान के नीचे रखा जा रहा है। शासन के पास गेहूं को सुरक्षित रखने गोदाम तक की व्यवस्था नहीं है। इस वर्ष गेहूं उपार्जन का लक्ष्य 2 लाख 80 हजार क्विंटल है। यदि यह उपार्जन लक्ष्य पूर्ण हो गया तो इतना गेहूं खुले आसमान के नीचे पड़ा रहेगा। 

48 घंटे में करना है 90 प्रतिशत उठाव 
शासन के प्रावधान के अनुसार गेंहू का परिवहन उपार्जन के 48 घंटे के अंदर 90 प्रतिशत होना चाहिए। इस हिसाब से 40 हजार क्विटल में से 36 हजार क्विंटल का उठाव हो जाना चाहिए था। लेकिन बताया गया कि परिवहन कर्ता पर्याप्त संख्या में ट्रकों की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं और  इस वजह से कम वाहनों के माध्यम से उठाव किया जा रहा है। इस संबंध में प्रशासन भी उदासीनता बरत रहा है। परिवहन कर्ता अपनी सुविधा के अनुसार ढुलाई कर रहे हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि सड़क ठीक नहीं होने के कारण भी आवाजाही में देर लग रही है। विशेष रूप से मानपुर जाने में कठिनाई उठानी पड़ रही है। 

समितियां व परिवहनकर्ता दोनो होंगे जिम्मेदार 
इस समय रोज मौसम बदलता है और आंधी पानी की स्थितियां निर्मित होतीं हैं। यदि पानी बरसता है और गेहूं खराब होता है तो उसके लिए परिवहन कर्ता और समितियां देानो को दोषी माना जाएगा। क्योंकि चंदिया तथा कौडिय़ा दो उपार्जन केन्द्रों को छोड़कर शेष 28 केन्द्रों के पास केलव 2 हजार क्विंटल की ही जगह है जबकि कम से कम 5 हजार क्विंंटल खाद्यान्न के भण्डारण की क्षमता होनी  चाहिए।  जिन जगहों में खरीद का कार्य होता है वहां सुरक्षित भण्डारण की व्यवस्था होना शासन द्वारा अनिवार्य कर दिया गया है। 

वेयर हाउस के गोदामों में गेहूं के लिए जगह नहीं 
वेयर हाउस के कुल दो गोदाम हैं। इनमें से एक जो 10 हजार क्विटल  क्षमता का है वह चना, मसूर, सरसों की आवक के लिए आरक्षित कर दिया गया है। दूसरा गोदाम जो कि 1 लाख 80 हजार क्विंटल क्षमता का है उसमें अभी तक चावल भरा हुआ है। मिलर्स अपनी सुविधा के अनुसार इसका उठाव करते हैं। प्रति वर्ष यही स्थिति निर्मित होती है। गेहूं को सुरक्षित रखने गोदामों में कभी जगह नहीं मिलती है। गेहूं के लिए उमरिया नगर में सगरा मंदिर के पास एक खुली जगह में चबूतरे बनवा दिये गए हैं तथा इसी तरह मानपुर के एक निर्जन स्थल पर चबूतरों का कैब बनवा दिया गया है। 

उमरिया व मानपुर में हो रहा भण्डारण  
वर्तमान में उपार्जित गेहूं को उमरिया और मानपुर कैब में ले जाया जा रहा है। मानपुर कैब की क्षमता 3  लाख तथा उमरिया कैब 1 लाख क्विटल क्षमता का है। लेकिन यहां गेहूं की सुरक्षा के लिए केवल मोटी पन्नियां ही उपलब्ध हैं और कोई व्यवस्था नहीं है। इन्ही पन्नियों के सहारे पूरी बरसात कटेगी। नीचे केवल चबूतरे हैं और घेरे के लिए बाउण्ड्रीवाल तक नहंी है। गेंहू में नीचे से सीलन जाएगी और उसके खराब होने की आशंका बनी रहेगी। 

इनका कहना है 
उपार्जन केन्द्रो में परिवहन की स्थिति की तत्काल जानकारी ली जाएगी और यदि परिवहन में ढिलाई पायी गई तो जरूरी कार्रवाई की जाएगी। 
माल सिंह, कलेक्टर उमरिया 

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