फ्रांस में प्रदर्शित हुई उमरिया की जुंधईयाबाई  की चित्रकारी -इटली में भी हो चुकी 

फ्रांस में प्रदर्शित हुई उमरिया की जुंधईयाबाई  की चित्रकारी -इटली में भी हो चुकी 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-07 12:38 GMT
फ्रांस में प्रदर्शित हुई उमरिया की जुंधईयाबाई  की चित्रकारी -इटली में भी हो चुकी 

डिजिटल डेस्क उमरिया। कला की तीर्थ नगरी कहे जाने वाले फ्रांस में  देश से उमरिया की प्रतिभा भी पहुंची है। तीन अक्टूबर से 20 तक इस अंतराष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी में  पेरिस के आउट साइडर आर्ट-3 नाम से यह सम्मेलन हो रहा है। इसके पूर्व जुंधईया बाई के चित्र ईटली के मिलान की प्रदर्शिनी में कवर पेज पर स्थान पा चुके हैं। दावा किया जा रहा है कि यह पहला मौका है जब किसी बैगा वृद्ध महिला कलाकार ने देश की सीमा को पारकर यह गौरव हासिल किया है।जुंधईया बैगा के गुरू कलाकार आशीष स्वामी ने बताया पैरिस की एक संस्था वहां अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शिनी आउट साइडर आर्ट-3 नाम से आयोजन कराती है। उनके कार्यकर्ता इस दौरान विभिन्न देशों की अनूठी चित्रकारियों पर नजर रखते हैं। जुंधईया की बनाई पेंटिंग के बारे में उन्हें पता चला। फिर संपर्क कर नई कला कृतियां मंगाई गईं। चयनित होने पर अब उन्हें 3 अक्टूबर से पैरिस में कलाप्रेमियों को दिखाया जा रहा है।
प्रतिभा के दमपर बनी अंतराष्ट्रीय कलाकार
विलुप्त संरक्षित जनजाति बैगा समुदाय से आने वाली जुंधईया बाई को हाल ही में इस उपलब्धि के लिए जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित किया गया है। इस वृद्ध कलाकार को इस स्तर में उभारने के लिए प्रसिद्ध चित्रकार आशीष स्वामी का बड़ा योगदान है। पश्चिम बंगाल स्थित शांति निकेतन वि.व. से कला की शिक्षा प्राप्त आशीष मुंबई  में कर्मस्थली से जन्मभूमि पर कुछ करने का जुनून लेकर उमरिया लौटे थे। आदिवासी कला को संरक्षित करने यहां लोढ़ा गांव में एक म्यूजियम जनगण तस्वीर खाना बनाया। फिर इनके जैसे अन्य बैगा व आदिवासी कलाकारों को प्रशिक्षण देने का कार्य किया जा रहा है।
खासी प्रसिद्धी है जुंधईया की
प्रसिद्धी के बारे में इस वृद्ध कलाकार का कोई शानी नही है। ये शिव भक्ति, बघेसुर पूजा, ट्रायवल आर्ट, प्रकृति सौंदर्य विषय पर ज्यादा पेंटिंग करती हैं। अंतर आत्मा की अभिव्यक्ति से चित्रित रूप को कागज में आकार देना इनकी खासियत है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित फिल्मी हस्तियां उनकी कलाकृति देखने लोढ़ा स्थित म्यूजियम तक पहुंच चुके हैं। जनजातीय संग्रहालय भोपाल, शांति निकेतन मेला वेस्ट बंगाल, भारत भवन भोपाल, मानव संग्रहालय में इनकी बनाई पेंटिंग को स्थान मिला है। इसके अलावा विदेशों से अक्सर कलाप्रेमी पर्यटक म्यूजियम में आकर ट्रायवल आर्ट के गुर सीख रहे हैं।
 

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