बिना आधिकारिक पहचान के जिंदगी जी रहे हैं 1 अरब से ज्यादा लोग : वर्ल्ड बैंक

बिना आधिकारिक पहचान के जिंदगी जी रहे हैं 1 अरब से ज्यादा लोग : वर्ल्ड बैंक

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-22 19:13 GMT

डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। दुनिया भर में लोगों की पहचान संबंधी विश्व बैंक के ताजे आंकड़े चौंकाने वाले हैं। विकास के लिए पहचान कार्यक्रम (आईडी4डी) के तहत विश्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 1 अरब से ज्यादा लोगों की कोईं आधिकारिक पहचान नहीं है। विश्व बैंक का कहना है कि दुनियाभर में 1.1 अरब से ज्यादा लोग बिना किसी पहचान प्रमाण के जिंदगी बिता रहे हैं।

 

इन आंकड़ों के अनुसार बिना पहचान प्रमाण के जी रहे इन लोगों में सबसे ज्यादा संख्या अफ्रीकी और एशियाई लोगों की है। इनमें अधिकांशतः वे लोग हैं जो गरीबी, भेदभाव, महामारी या हिंसा का सामना कर रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह विकासशील इलाकों में लोगों और सरकारी सेवाओं के बीच दूरी को भी बताया जा रहा है। विश्व बैंक का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के पास पहचान पत्र नहीं होने से दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं से वंचित है।

 

इस मुद्दे पर जिनेवा में यूएन की प्रतिनिधि एनी सोफी लुईस ने कई बिंदूओं पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा..

  • कई देशों में परिवारों को बर्थ सर्टिफिकेट के महत्व के बारे में बताया ही नहीं जाता।
  • माता-पिता को बर्थ सर्टिफिकेट की जानकारी भी हो तो भी कई बार इसमें आने वाले खर्च के चलते वे ऐसा नहीं करते हैं।
  • बर्थ सर्टिफिकेट नहीं होने की वजह से बच्चों को उनके मूल अधिकार नहीं मिल पाते हैं। 
  • राजनीतिक वातावरण भी कई बार परिवारों को अपनी पहचान उजागर करने के प्रति हतोत्साहित करता है।
  • किसी एक समुदाय या नागरिकता के लोगों के बीच पहचाने जाने का भी डर होता है, क्योंकि कई बार सरकारें एक समूह के मुकाबले दूसरे को अधिक वरीयता देती हैं।
  • चीन में कई साल तक लोगों ने अपने एक से ज्यादा बच्चे होने पर पंजीकरण नहीं कराया था, क्योंकि वहां ‘एक बच्चे की नीति’ लागू थी।

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