Explainer: ऐसी अनोखी गैलेक्सी जिसमें नहीं है ब्लैकहोल! हैरान वैज्ञानिक ढूंढ रहे वजह

Explainer: ऐसी अनोखी गैलेक्सी जिसमें नहीं है ब्लैकहोल! हैरान वैज्ञानिक ढूंढ रहे वजह

Bhaskar Hindi
Update: 2021-01-11 13:51 GMT
Explainer: ऐसी अनोखी गैलेक्सी जिसमें नहीं है ब्लैकहोल! हैरान वैज्ञानिक ढूंढ रहे वजह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक सुपरमेसिव ब्लैक होल के आश्चर्यजनक रूप से गायब होने से खगोलविद हैरान है। इस सुपरमेसिव ब्लैक होल का द्रव्यमान (MASS) सूर्य के द्रव्यमान से 100 बिलियन गुना तक होने का अनुमान है। वैज्ञानिक नासा के चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी और हबल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से इस ब्लैक होल की तलाश कर रहे हैं। हालांकि अभी तक उन्हें इससे जुड़ा कोई भी सबूत नहीं मिल पाया है।

वैज्ञानिक इस ब्लैक होल की तलाश एबेल 2261 (Abell 2261) के केंद्र में कर रहे हैं, जो एक विशाल आकाशगंगा समूह है। ये हमारे ग्रह से लगभग 2.7 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर है। एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो लाइट की बीम एक साल में तय करती है। यानी 9 ट्रिलियन किलोमीटर। नासा के मुताबिक, ब्रह्मांड की प्रत्येक बड़ी आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है। इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से लाखों या अरबों गुना है। हमारी आकाशगंगा- मिल्की वे के केंद्र में जो ब्लैक होल है उसे सैगिटेरियस A* (Sagittarius A*) कहा जाता है। यह पृथ्वी से 26,000 प्रकाश वर्ष दूर है।


Sagittarius A*

एबेल आकाशगंगा के केंद्र की तलाश के लिए वैज्ञानिक 1999 और 2004 में जुटाए गए आंकड़ों का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका ब्लैक होल नहीं खोज पाए हैं। अमेरिका में मिशिगन यूनिवर्सिटी की एक टीम के अनुसार इसका कारण गैलैक्सी के सेंटर से ब्लैक होल का इजेक्ट होना हो सकता है। शोधकर्ताओं का ये भी कहना है कि दो छोटी आकाशगंगाओं के मर्ज होकर बड़ी गैलेक्सी बनने के कारण भी ऐसा हो सकता है। एक ऐसी प्रोसेस जिसमें दोनों ब्लैक होल मर्ज होकर एक बहुत बड़ा ब्लैक होल बनाते हैं। नासा चंद्र ऑब्जर्वेटरी के डेटा के आधार पर रिसर्चर्स ने ये तर्क दिया है।


Abell 2261

जब दो ब्लैक होल मर्ज होते हैं, तो ग्रेविटेशनल वेव रिलीज करते हैं। ये प्रकाश की गति से ट्रैवल करते हैं और अपने मार्ग में आने वाली किसी भी चीज को स्क्वीज और स्ट्रैच करते हैं। ग्रेविटेशनल वेव की थ्योरी के अनुसार, इस तरह के मर्जर के दौरान, जब एक दिशा में उत्पन्न वेव की मात्रा दूसरे से अधिक मजबूत होती है, तो नए बड़े ब्लैक होल को आकाशगंगा के केंद्र से विपरीत दिशा में भेजा जा सकता है। इसे "रीकोइलिंग" ब्लैक होल के रूप में जाना जाता है।

अब तक, हालांकि, वैज्ञानिकों को रीकोइलिंग ब्लैक होल के निश्चित सबूत नहीं मिले हैं। अभी भी यह पता लगाना बाकी है कि क्या सुपरमैसिव ब्लैक होल ग्रेविटेशनल वेव को मर्ज और रिलीज कर सकते हैं। अब तक, केवल छोटे ब्लैक होल के मर्जर को वैरिफाई किया गया है। अगर मिशिगन के रिसर्चर्स की परिकल्पना सच साबित होती है तो ये खगोल विज्ञान में एक बड़ी सफलता होगी।

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