अमेरिकी राष्ट्रपति "जो बाइडेन" ने लिया संकल्प, कहा- आत्मघाती हमलों का देंगे करारा जवाब
काबुल बम धमाका अमेरिकी राष्ट्रपति "जो बाइडेन" ने लिया संकल्प, कहा- आत्मघाती हमलों का देंगे करारा जवाब
- अमेरिका ने आत्मघाती हमलों का करारा जवाब देने का लिया संकल्प (विश्लेषण)
डिजिटल डेस्क, न्यूयॉर्क। अफगानिस्तान में 20 साल से चले आ रहे दलदल से बाहर निकलने की कोशिश में लगे अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने काबुल हवाईअड्डे पर हुए आत्मघाती बम धमाकों में शामिल लोगों की तलाश करते हुए उन्हें करारा जवाब देने का संकल्प लिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन कम से कम 103 लोगों की जान लेने वाले, जिसमें 13 अमेरिकी सेवा सदस्य भी शामिल हैं, धमाकों के पीछे के लोगों की तलाश करने के संकल्प के साथ एक बार फिर से अफगानिस्तान में आतंक जैसे संवेदनशील मामले में घुसने का जोखिम उठा रहे हैं। उन्होंने गुरुवार शाम को राष्ट्र के नाम एक संबोधन में घोषणा करते हुए चेतावनी दी और कहा, इस हमले को अंजाम देने वालों के साथ-साथ अमेरिका को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए, यह जान लें: हम माफ नहीं करेंगे। हम नहीं भूलेंगे। हम आपको ढूंढेंगे और आपको इसका खामियाजा भुगतना होगा।
काबुल हवाईअड्डे के प्रवेश द्वार पर आत्मघाती बम विस्फोट गुरुवार को इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएसआईएस-के) समूह द्वारा किया गया है, जो आईएस का एक कट्टरपंथी सहयोगी है। हवाई अड्डे पर विस्फोट के बाद बगल के बैरन होटल में एक और विस्फोट हुआ, जिसका विवरण अमेरिकी सेना द्वारा पता लगाया जा रहा है। अफगानिस्तान में घटनाओं के एक अजीब मोड़ में, जिस पर अमेरिका ने 2001 में तालिबान से लड़ते हुए हमला किया था, जनरल केनेथ मैकेंजी, जो यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख हैं, ने अमेरिकी सैनिकों पर आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए तालिबान के साथ सहयोग की रूपरेखा तैयार की और तालिबान को जितना संभव हो सके हमारी रक्षा के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया।
आईएसआईएस-के हमला तालिबान के खिलाफ अवज्ञा का प्रदर्शन है, जिसने 15 अगस्त को काबुल और अधिकांश अफगानिस्तान पर नियंत्रण का दावा किया था और राष्ट्रपति अशरफ गनी के संयुक्त अरब अमीरात में भाग जाने के बाद निर्वाचित सरकार गिर गई थी। हालांकि चरमपंथी आईएसआईएस-के किसी भी तरह से एक लोकतांत्रिक संगठन नहीं है, लेकिन अफगान परि²श्य में यह तालिबान से लड़ रहा है। लेकिन इस संगठन से जुड़े लोग अमेरिका के लिए एक पारस्परिक विरोध भी साझा करते हैं और साथ ही तालिबान की ओर से देश भर में नियंत्रण के दावों पर भी सवाल उठाते हैं।
हमले में मारे गए अमेरिकी सैन्यकर्मी हवाईअड्डे के प्रवेश द्वार पर चौकी पर तैनात थे। बम विस्फोटों में लगभग 18 अमेरिकी और 140 अन्य घायल हो गए थे। भले ही तालिबान ने काबुल और अधिकांश अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है, मगर अमेरिकी सेना अभी भी ऐसे अमेरिकी नागरिकों और हजारों अन्य लोगों को निकालने में सक्षम बनाने के लिए हवाई अड्डे को नियंत्रित कर रही है, जिनमें से कई ने वाशिंगटन के साथ काम किया था।
अमेरिका और संबद्ध अधिकारी आतंकवादी खतरों की चेतावनी देते रहे हैं और वाशिंगटन ने अपने नागरिकों से कहा है कि जब तक उन्हें वहां जाने के लिए नहीं कहा जाता, तब तक वे हवाईअड्डे पर न जाएं। नवीनतम घटना में मारे गए लोगों के बाद अफगानिस्तान में 2001 से अब तक मारे गए अमेरिकी सैन्य कर्मियों की कुल संख्या 2,325 हो गई है। उन्हें अपनी श्रद्धांजलि में, बाइडेन ने कहा कि वे बाइबल से प्रेरित थे।
उन्होंने कहा, जब ईश्वर कहता है, मैं किसे भेजूं, हमारी ओर से कौन जाएगा? और अमेरिकी सेना लंबे समय से जवाब दे रही है : यहां मैं हूं, ईश्वर। मुझे भेजो। अमेरिकी सेवा कर्मियों की गुरुवार की मौत पिछले सितंबर के बाद से उस देश में पहली घटना है। बाइडेन 31 अगस्त की समय सीमा पर अड़े हुए हैं और तब तक अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी सुनिश्चित की जानी है। उन्होंने सैनिकों को बाहर निकालने की प्रक्रिया के बीच अब बम विस्फोटों के अपराधियों के पीछे जाने का संकल्प लिया है। लेकिन वह सैनिकों को वापस बुलाकर अमेरिकी हताहतों की संख्या को नहीं बढ़ने देने और बदला लेने के अपने आह्वान के बीच फंस गए है।
(आईएएनएस)