Mini Moon: पृथ्वी के दूसरे चंद्रमा की एस्ट्रोनॉमर्स ने कैप्चर की नई तस्वीर

Mini Moon: पृथ्वी के दूसरे चंद्रमा की एस्ट्रोनॉमर्स ने कैप्चर की नई तस्वीर

Bhaskar Hindi
Update: 2020-02-28 05:51 GMT
Mini Moon: पृथ्वी के दूसरे चंद्रमा की एस्ट्रोनॉमर्स ने कैप्चर की नई तस्वीर
हाईलाइट
  • इस वस्तु को उन्होंने 'मिनी-मून' या पृथ्वी का दूसरा चंद्रमा करार दिया
  • एस्ट्रोनॉमर्स ने पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली एक छोटी सी वस्तु देखी
  • पृथ्वी के दूसरे चंद्रमा की एस्ट्रोनॉमर्स ने नई तस्वीर कैप्चर की

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एस्ट्रोनॉमर्स ने पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली एक छोटी सी वस्तु देखी है। इस वस्तु को उन्होंने "मिनी-मून" या पृथ्वी का दूसरा चंद्रमा करार दिया है। यह वास्तव में कार के बराबर का एक एस्टेरॉइड है। इसका व्यास लगभग 1.9-3.5 मीटर है। हमारे स्थायी चंद्रमा के विपरीत, मिनी-मून अस्थायी है। यह अंततः पृथ्वी की कक्षा को छोड़कर अपने रास्ते पर चला जाएगा। एस्ट्रोनॉमर्स ने इसकी एक नई तस्वीर कैप्चर की है।

तीन साल पहले किया था पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश
मिनी-मून (2020 CD3) की खोज 15 फरवरी की रात एरिज़ोना में स्थित कैटालिना स्काई सर्वे (सीएसएस) ने की थी। इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजिकल यूनियन के माइनर प्लेनेट सेंटर ने इस खोज को एक्नॉलेज किया। उन्होंने कहा, ऑर्बिट इंटीग्रेशन से संकेत मिलता है कि यह ऑब्जेक्ट अस्थायी रूप से पृथ्वी से जुड़ा हुआ है और करीब तीन साल पहले इसने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया। साइंस राइटर कोरी एस पॉवेल ने कहा कि यह दूसरा एस्टोरॉइड है जिसने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया है। इससे पहले 2006 RH120 को सीएसएस ने खोजा था। यह 18 महीनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करता रहा था।

पृथ्वी से कुछ दूरी पर कर रहा ऑर्बिट
बता दें कि जब एक एस्टेरॉइड की कक्षा पृथ्वी की कक्षा को पार करती है, तो कभी-कभी यह एस्टेरॉइड पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर लेता है। 2020 सीडी 3 के साथ भी यही हुआ है। यह अब पृथ्वी से कुछ दूरी पर परिक्रमा कर रहा है। इस तरह के एक एस्टेरॉइड को टेम्पररी कैप्चर ऑब्जेक्ट (TCO) कहा जाता है। ऐसी वस्तुओं की कक्षा अस्थिर होती है। उन्हें हमारे स्थायी चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के साथ-साथ सूर्य से भी जूझना पड़ता है। एक बार पृथ्वी की कक्षा में कैप्चर हो जाने के बाद, ऐसी वस्तुएं आमतौर पर कुछ वर्षों तक यही रहती है। इसके बाद यह सूर्य के चारों ओर स्वतंत्र कक्षा में चली जाती हैं।

 

 

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