CPEC को नुकसान से बचाने के लिए बलूच विद्रोहियों से सीधे संपर्क में है चीन

CPEC को नुकसान से बचाने के लिए बलूच विद्रोहियों से सीधे संपर्क में है चीन

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-20 12:22 GMT
CPEC को नुकसान से बचाने के लिए बलूच विद्रोहियों से सीधे संपर्क में है चीन

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। बलूचिस्तान में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के विरोध से चीन चिंतित है। CPEC को बलूच विद्रोहियों से खतरे को देखते हुए चीन ने नई चाल चली है। चीन ने अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना की सुरक्षा के लिए गोपनीय रूप से बलोच आतंकियों के साथ बातचीत की है। ब्रिटिश अखबार फायनैंशियल टाइम्स ने इस गुप्त बातचीत का खुलासा किया है। अखबार ने लिखा है कि बातचीत से जुड़े तीन लोगों ने बीजिंग के बलूचिस्तान आतंकियों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क की जानकारी दी है। फाइनैंशियल टाइम्स ने बातचीत में शामिल तीन अधिकारियों के हवाले से यह भी लिखा है कि चीन, बलूचिस्तान के विद्रोहियों से सीधे संपर्क में है और उसने इस मसले पर काफी प्रगति कर ली है।

चीन द्वारा इस तरह बलूच विद्रोहियों से बात करने को सीधे तौर पर पाकिस्तान के अंदरूनी मसलों में दखल के तौर पर देखा जा सकता है, लेकिन अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान की सरकार और वहां के अधिकारी इस बातचीत से वाकिफ हैं और पाक अधिकारियों ने इस बाचतीच का स्वागत भी किया है। पाक अधिकारियों का कहना है कि चीन द्वारा बलूच विद्रोहियों से बात करने में कोई बुराई नहीं है। अगर बलूचिस्तान में शांति रहती है तो यह दोनों पक्षों के लिए अच्छा है।

बता दें कि बलूचिस्तान पिछले 70 सालों से पाकिस्तान से आजादी की मांग कर रहा है। यहां के नागरिक पाक पर अवैध रूप से बलूचिस्तान में कब्जा करके बलूचों पर अत्याचार करने का आरोप लगाते रहे हैं। पाक के इस प्रांत में CPEC परियोजना का एक बड़ा हिस्सा पड़ता है जिसका बलोच नागरिकों के बीच जबरदस्त विरोध हो रहा है। बलूचिस्तान के लोगों का कहना है कि चीन और पाकिस्तान इन प्रॉजेक्ट्स के जरिए इलाके की जनसांख्यिकी को बदलना चाहते हैं।

गौरतलब है कि चीन की वन बेल्ट वेन रोड परियोजना के तहत ही CPEC को तैयार किया जा रहा है। चीन CPEC के माध्यम से अपने शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण ग्वादर पोर्ट से जोड़ना चाहता है। इस योजना में सड़कों और रेल नेटवर्क को तैयार करने के साथ ही ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करना भी शामिल है। यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजर रही है। इसके चलते भारत इस परियोजना का लगातार विरोध कर रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की 2015 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान इस योजना की शुरुआत की गई थी। इस दौरान ही चिनफिंग ने परियोजना के लिए 50 अरब डॉलर की राशि आवंटित किए जाने की घोषणा की थी।

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