CPEC पर भारत के साथ मतभेद खत्म करने के लिए बातचीत चाहता है चीन
CPEC पर भारत के साथ मतभेद खत्म करने के लिए बातचीत चाहता है चीन
डिजिटल डेस्क, पेइचिंग। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) परियोजना पर भारत की आपत्तियों को लेकर चीन बातचीत करने को तैयार है। चीन इस मुद्दे पर भारत के साथ मतभेद खत्म करने के लिए बातचीत करना चाहता है। चीन ने कहा है, "CPEC को लेकर भारत की आपत्तियों पर चीन हमेशा से अपनी स्थिति स्पष्ट करता आया है। चीन इस मसले पर भारत से बातचीत करने को तैयार है ताकि एक समाधान निकल सके।" चीन ने यह भी कहा है कि मतभेदों की वजह से दोनों देशों के राष्ट्रीय हित प्रभावित नहीं होने चाहिए।
चीन की यह प्रतिक्रिया चीन में भारत के राजदूत गौतम बंबावाले के उस बयान पर आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि पेइचिंग को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़ी भारत की चिंताओं को लेकर संवेदनशील होने की जरूरत है। गौतम बंबावाले ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, "चीन की CPEC परियोजना PoK से गुजरती है जो भारत का क्षेत्र है। ऐसे में इस परियोजना पर भारत की आपत्तियों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।"
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनियिंग से इस मामले में जब भारतीय राजदूत के इस बयान पर जवाब मांगा गया तो उन्होंने कहा, "CPEC के आर्थिक सहयोग से जुड़ा प्रॉजेक्ट हैं। इससे किसी भी देश को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यह परियोजना किसी अन्य देश को निशाना बनाने के लिए नहीं लाई गई है। हमें उम्मीद है कि भारत इस बात को समझेगा। हम इस मामले पर भारत की आपत्तियों को दूर कर आगे बढ़ना चाहते हैं। चीन हमेशा से पड़ोसी देश के साथ मजबूत सहयोग रखनें में विश्वास रखता है।"
गौरतलब है कि चीन की वन बेल्ट वेन रोड परियोजना के तहत ही CPEC को तैयार किया जा रहा है। चीन CPEC के माध्यम से अपने शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण ग्वादर पोर्ट से जोड़ना चाहता है। इस योजना में सड़कों और रेल नेटवर्क को तैयार करने के साथ ही ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करना भी शामिल है। यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजर रही है। इसके चलते भारत इस परियोजना का लगातार विरोध कर रहा है। बता दें कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की 2015 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान इस योजना की शुरुआत की गई थी। इस दौरान ही चिनफिंग ने परियोजना के लिए 50 अरब डॉलर की राशि आवंटित किए जाने की घोषणा की थी।