डोकलाम पर भारत का साथ देकर चीन से मात खा गए ट्रंप
डोकलाम पर भारत का साथ देकर चीन से मात खा गए ट्रंप
डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। डोकलाम मसले पर अमेरिका का साथ पाकर भारत ने भले ही चीन के साथ यह मसला सुलझा लिया हो, लेकिन कूटनीतिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसमें मात खा गए। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का साथ देकर ट्रंप प्रशासन ने नॉर्थ कोरिया के मसले पर चीन की मदद की उम्मीदों पर लगभग पानी फेर दिया है।
"द हेरिटेज फाउंडेशन" में दक्षिण एशिया के रिसर्च फेलो जेफ स्मिथ ने कहा, "यह ऐसा विवाद नहीं है, जिसमें ट्रंप उलझने के लिए इच्छुक हों। खासकर ऐसे समय जब वे नॉर्थ कोरिया में बढ़ते तनाव से निपट रहे हैं और इस मामले में चीन की मदद मांग रहे हैं।" अमेरिकी रणनीतिकारों का मानना है कि असल में ट्रंप प्रशासन को इस मसले पर सीधे तौर से उलझना ही नहीं चाहिए था, क्योंकि चीन बाहर से डोकलाम मसले पर भले ही सख्ती दिखा रहा था, लेकिन परदे के पीछे की कूटनीतिक बातचीत में उसका रवैया नरम रहा। खासतौर पर ब्रिक्स सम्मेलन के मद्देनजर उसे डोकलाम मसले को सुलझाने की जल्दी भी थी। लेकिन ट्रंप प्रशासन ने भारत के रुख का समर्थन करते हुए बिना शर्त बातचीत का समर्थन किया, जो कि चीन की इस जिद के खिलाफ था कि पहले भारत अपनी सेना पीछे हटाए।
व्हाइट हाउस में साउथ एशिया नैशनल सिक्योरिटी काउंसिल के डायरेक्टर पद पर नियुक्त किए गए स्मिथ ने कहा, "भारत ने चीन और दुनिया को यह दिखा दिया कि वह जो चाहता था, उसने हासिल कर लिया।" उन्होंने कहा कि इस मामले में चीन की सरकार के सलाहकार रहे लोग भारत के रुख का अनुमान लगा पाने में नाकाम रहे और अब वे इस बात की समीक्षा कर रहे होंगे कि आखिर कमी कहां रह गई। अब नॉर्थ कोरिया का हमलावर रुख और चीन की इस मसले पर खामोशी अमेरिका को भारी पड़ रही है। खासतौर पर इसलिए भी, क्योंकि उसे अच्छी तरह मालूम है कि प्योंगयांग के साथ किसी भी तरह के युद्ध में उलझने का सीधा परिणाम चीन को भी इस जंग में शामिल करने जैसा होगा। इसलिए ट्रंप प्रशासन यही चाहता है कि चीन किसी तरह प्योंगयांग पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उसे शांति और संयम बरतने को राजी करे।