Covid-19 Drug: कोरोनावायरस के एंटीवायरल ड्रग का पहला ट्रायल फेल, WHO ने कहा- गलती से अपलोड हुई रिपोर्ट

Covid-19 Drug: कोरोनावायरस के एंटीवायरल ड्रग का पहला ट्रायल फेल, WHO ने कहा- गलती से अपलोड हुई रिपोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-24 06:20 GMT
Covid-19 Drug: कोरोनावायरस के एंटीवायरल ड्रग का पहला ट्रायल फेल, WHO ने कहा- गलती से अपलोड हुई रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनावायरस के एंटीवायरल ड्रग का पहला ट्रायल फेल हो गया है। इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि रेमडेसिवयर ड्रग कोविड-19 का इलाज कर सकता है। लेकिन इस ड्रग ने रोगियों की स्थिति में सुधार नहीं किया, न ही खून में मौजूद पैथोजन की संख्या को कम किया। इस ड्रग के फेल होने की खबर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने क्लीनिकल ट्रायल डेटाबेस पर पोस्ट किया गया था, लेकिन बाद में हटा दिया गया। WHO के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह गलती से अपलोड हो गया था।

237 मरीजों की स्टडी
WHO की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि शोधकर्ताओं ने 237 रोगियों का अध्ययन किया। 158 को दवा दी और प्लेसीबो लेने वाले शेष 79 के साथ उनकी प्रगति की तुलना की। एक महीने बाद ड्रग लेने वाले 13.9% मरीज़ों की मौत हो गई जबकि इसकी तुलना में प्लेसीबो लेने वाले 12.8% मरीज़ों की मौत हुई। साइड-इफ़ेक्ट के कारण ट्रायल जल्दी रोक दिया गया। अमेरिकी कंपनी गिलिएड साइंसेज ने इस ड्रग को बनाया था। गिलिएड साइंस ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की पोस्ट को लेकर विरोध जताया है।

क्या कहा गिलियड साइंस ने?
गिलिएड साइंस के एक प्रवक्ता ने कहा "हमारा मानना है कि इस पोस्ट में अध्ययन को लेकर जुड़ी अनुचित जानकारियां शामिल थीं।" उन्होंने कहा, "इस तरह की स्टडी के रिजल्ट अनिर्णायक होते हैं। गिलिएड कंपनी के वैज्ञानिकों ओर शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि क्लिनिकल ट्रायल के दौरान कोविड-19 के मरीजों पर रेमडेसिवीर का काफी अच्छा असर हो रहा है और उसके परिणाम अच्छे हैं, लेकिन इस दवा के प्रभाव को जांचने के लिए अधिक ट्रायल करने की जरूरत है।

यूके में भी वैक्सीन का ट्रायल
ब्रिटेन की ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्‍सीन का सबसे बड़ा ट्रायल गुरुवार से शुरू हो चुका है।  ब्रिटेन में 165 अस्‍पतालों में करीब 5 हजार मरीजों का एक महीने तक और इसी तरह से यूरोप और अमेरिका में सैकड़ों लोगों पर इस वैक्‍सीन का परीक्षण होगा। यह दुनिया का सबसे बड़ा ट्रायल है। रिसर्च डायरेक्टर प्रफेसर सराह गिलबर्ट ने अनुमान लगाया है कि इस वैक्सीन के सफल होने की उम्मीद 80 फीसदी है। 

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