अब तक कोरोना के कितने वेरिएंट ने मचाया तांडव, क्या होता है इसका मतलब? जानिए, सब कुछ 

अलविदा 2021 अब तक कोरोना के कितने वेरिएंट ने मचाया तांडव, क्या होता है इसका मतलब? जानिए, सब कुछ 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-16 14:29 GMT
हाईलाइट
  • कोरोना वायरस को दो कैटेगरी में बांटा गया है
  • पहला- वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट
  • दूसरा- वेरिएंट ऑफ कंसर्न

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने दुनिया के सभी देशों को प्रभावित किया है। पूरी दुनिया ने इसका दंश झेला और संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन का रास्ता अपनाया। लेकिन, फिर भी कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट ने जमकर तबाही मचाई। करोड़ों लोगों को चपेट में लिया और सैकड़ों की संख्या में मौतें हुई। आज भी इसका प्रकोप जारी है। 

हर साल अलग-अलग देश में कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट की पहचान की गई और फिर ये दुनियाभर में फैलता चला गया। आज हम आपको बताएंगे शुरुआत से लेकर अब तक इसके कितने वेरिएंट आए और ज्यादातर देशों को प्रभावित किया। 

वेरिएंट का मतलब क्या होता है?

  • हर वायरस रुप नहीं बदलता। लेकिन, कोरोना अपना रुप बदलने में माहिर है।
  • रुप बदलने का मतलब है, जब वायरस एक व्यक्ति से दूसरे के अंदर प्रवेश करता है तो, ज्यादातर अपने रुप या स्वभाव में परिवर्तन कर लेता है।
  • जैसे- पहले व्यक्ति के शरीर में कोरोना सर्दी और जुकाम के लक्षण के साथ प्रवेश करता है। लेकिन, दूसरे में बुखार और कमजोरी के लक्षण के साथ आता है।
  • जरुरी नहीं वायरस एक से दूसरे में जाए तो मजबूत रुप में ही हो। ये दूसरे में जाने के बाद कमजोर भी पड़ सकता है।
  • वायरस के बदलते स्वभाव और रुप को ही वेरिएंट नाम दिया गया है।

वेरिएंट को कितनी कैटेगरी में रखा गया है?

  • कोरोना वायरस को दो कैटेगरी में बांटा गया है।
  • पहला- वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट।
  • दूसरा- वेरिएंट ऑफ कंसर्न।

वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट (VOI) को समझिए
आप ये बात सुनकार हैरान रह सकते है कि, कोरोना वायरस ने दुनियाभर में अब तक 24 हजार से ज्यादा बार अपना रुप बदला है। अच्छी बात ये रही कि, अधिकतर समय इसका प्रभाव गंभीर नहीं रहा और कई बार तो निष्क्रीय रहा। लेकिन, जब वायरस के म्यूटेशन में तेजी से बदलें और संरचना और स्वभाव भी बदल जाए। तो, ये अलग वेरिएंट होता है। शुरुआती दौर में किसी भी वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की कैटेगरी में रखते है। फिर वैज्ञानिक रिसर्च होता और डेटा इकट्टठा किए जाते है और पता लगाया जाता है कि,वेरिएंट खतरनाक है या नहीं।

वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) को समझिए
WHO की मानें तो, वेरिएंट ऑफ कंसर्न तब होता है,जब कोई वायरस बहुत तेजी से फैले। मौतों के आंकड़े एकाएक बढ़ते चले जाए। वैक्सीन का प्रभाव कम हो जाए। मेडिकल ट्रीटमेंट काम न आए। तब इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न मान लिया जाता है। जिसे रोकना काफी जरुरी होता है। 

वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट वाले वेरिएंट्स

कप्पा वेरिएंट 

  • डेल्टा प्लस वेरिएंट के बाद कप्पा वेरिएंट ने दस्तक दी और डर का माहौल पैदा किया।
  • लेकिन, इसे वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट माना गया।

लैम्ब्डा वेरिएंट

  • माना जाता है कि, इस वेरिएंट का जन्म दक्षिण अमेरिका के पेरू में हुआ था।
  • ब्रिटेन और यूके में इसके कुछ मामले सामने आए थे। लेकिन, इसका भयावह रुप देखने को नही मिला।

इटा वेरिएंट

  • दिसंबर 2020 में कई देशों में इसने अपने पैर पसारे थे।
  • लेकिन, मार्च 2021 में इसे वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट कैटेरगी में शामिल किया गया।

आइओटा वेरिएंट

  • नवंबर 2020 आइओटा अमेरिका में दिखाई दिया।
  • WHO ने इसे मार्च 2021 को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट कैटेरगी में शामिल कर दिया।

वेरिएंट ऑफ कंसर्न वाले वेरिएंट्स

अल्फा वेरिएंट

  • अल्फा वेरिएंट को सबसे पहले सितंबर 2020 में दक्षिणी इंग्लैंड में पहचाना गया था।
  • दिसंबर 2020 में इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेरगी में शामिल किया गया।
  • वैज्ञानिकों ने इसे B.1.1.7 नाम दिया
  • तेजी से हुए वैक्सिनेशन के बाद ये वेरिएंट काबू में आ गया था।

बीटा वेरिएंट

  • बीटा वेरिएंट भी सबसे पहले मई 2020 में दक्षिण अफ्रीका में पाया गया।
  • दिसंबर 2020 में इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेरगी में रखा गया।
  • इसे वैज्ञानिकों ने (B.1.351), (B.1.351.2), (B.1.351.3) नाम दिया।

गामा वेरिएंट 

  • गामा वेरिएंट को सबसे पहले 2020 में ब्राजील में पहचाना गया।
  • जनवरी 2021 में इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेरगी में रखा गया।

डेल्टा वेरिएंट

  • डेल्टा वेरिएंट दिसंबर 2020 में सबसे पहले भारत में मिला।
  • इसे  वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेरगी में रखा गया।
  • वैज्ञानिकों ने इसे नाम दिया B.1.617.2 
  • भारत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, रूस, ब्राजील और सिंगापुर समेत कई देश इससे प्रभावित हुए।

डेल्टा प्लस वेरिएंट

  • डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा (B.1.617.2) में म्यूटेशन से बना था।
  • बता दें कि,ये वेरिएंट अल्फा की तुलना में 35-60 फीसदी अधिक खतरनाक है। 


 

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