रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत ने दिया UN को करारा जवाब 

रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत ने दिया UN को करारा जवाब 

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-12 15:00 GMT
रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत ने दिया UN को करारा जवाब 

फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को देश से बाहर निकालने के फैसले पर भारत की निंदा किए जाने पर केंद्र सरकार की ओर से संयुक्त राष्ट्र संघ को करार जवाब दिया गया है। सयुंक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजीव के चंदर ने जैद राद अल हुसैन के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। राजीव ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा है कि, "संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त की तरफ से की गई इस प्रकार की टिप्पणियों से हम आहत हैं। उनका बयान भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में आजादी और हकों को गलत तरीके से बढ़ावा देने वाला है। गलत और चुनिंदा रिपोर्टों के आधार पर कोई निर्णय देना अनुचित होगा और इससे किसी भी समाज में मानवाधिकार की चिंता नहीं की जा सकती।"

राजीव ने कहा है कि भारत सरकार विश्व के अन्य राष्ट्रों की तरह ही अवैध प्रवासियों की समस्या को लेकर चिंतित है। यदि इनकी संख्या में और इजाफा होता है तो इससे देश की सुरक्षा चुनौतियां और बढ़ जाएंगी। चंदर ने जम्मू कश्मीर का हवाला देते हुए कहा कि वहां पर मानवाधिकार के मुद्दे बढ़ रहे हैं मगर उसी जगह पर आतंकवाद की अनदेखी किया जाना भी दुखी करता है। 

गौरतलब है कि सोमवार को रोहिंग्या शरणार्थियों को देश से निकाले जाने के मुद्दे पर सयुंक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के प्रमुख जैद राद अल हुसैन ने भारत सरकार के इस निर्णय को गलत बताया था। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति भारत की जवाबदेही को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा, "भारत सभी लोगों को सामूहिक तौर पर नहीं निकाल सकता और ना ही वह उन लोगों को वहां वापस भेज सकता है जहां उन्हें उत्पीड़न और गंभीर किस्म का खतरा हो।" हुसैन ने यह भी कहा कि, "ऐसे वक्त में जब रोहिंग्या के मुसलमान अपने देश में हो रही हिंसा से प्रभावित हो रहे हैं, तब भारत सरकार को उन्हें इस तरह वापस नहीं भेजना चाहिए। मैं भारत सरकार के इस निर्णय की निंदा करता हूं।"

बता दें कि पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी की म्यांमार यात्रा के बाद भारत सरकार ने देश में आ रहे सभी रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकाले जाने की बात कही है। भारत में करीब 40,000 रोहिंग्या रह रहे हैं और इनमें से 16,000 को रिफ्यूजी का दर्जा मिला हुआ है।

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