मालदीव ने दिया चीन को झटका, खत्म करेंगे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
मालदीव ने दिया चीन को झटका, खत्म करेंगे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
- मालदीव के राष्ट्रपति ने चीन को बड़ा झटका देने का निर्णय कर लिया है।
- मालदीव चीन के साथ अपने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को खत्म करने जा रहा है।
- सोलिह ने कहा कि यह एग्रीमेंट उनके देश द्वारा की गई सबसे बड़ी गलतियों में से एक है।
डिजिटल डेस्क, माले। हाल ही में मालदीव के राष्ट्रपति बने इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने चीन को बड़ा झटका देने का निर्णय कर लिया है। शनिवार को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद सोलिह ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वह चीन के साथ अपने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को खत्म करने जा रहे हैं। सोलिह ने कहा कि यह एग्रीमेंट उनके देश द्वारा की गई सबसे बड़ी गलतियों में से एक है।
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और सोलिह के एडवाइजर मो. नशीद ने सोमवार को इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि संसद इस एग्रीमेंट के लिए कानून में अब कोई बदलाव नहीं करेगी और इसे बंद करेगी। नशीद ने एक इंटरव्यू में कहा, चीन और मालदीव के बीच व्यापार असंतुलन काफी ज्यादा है। इस ट्रेड एग्रीमेंट से हमें कोई फायदा नहीं हो रहा था। यह एक वन वे डील था और चीन हमसे कुछ नहीं खरीदता था। ऐसी स्थिति में हम फ्री ट्रेड के बारे में आगे नहीं सोच सकते।
इससे पहले शनिवार को राष्ट्रपति सोलिह ने भी इस ट्रेड के लिए पिछली सरकार को जमकर लताड़ लगाई थी। सोलिह ने कहा था कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने इस देश को लूटा है। सोलिह ने कहा था कि पिछली सरकार ने चीन से भारी कर्ज लिया था, इसी वजह से देश घाटे के दौर से गुजर रहा है। चीन के साथ अपने रिश्ते सुधारने में हमने बहुत कुछ खोया है।
बता दें कि मालदीव उन देशों में से है, जहां चीन अपनी नजर गड़ाए हुए है। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को चीन का समर्थक माना जा रहा था। यामीन ने अपने राजनीतिक विरोधियों को या तो जेल भेज दिया था या फिर वह देश से बाहर रह रहे थे। पूर्व राष्ट्रपति यामिन की वजह से भारत-मालदीव रिश्तों में पिछले कुछ सालों से काफी खटास आ गई थी। चीन का दखल बढ़ने के साथ ही भारत की भूमिका पर सवाल खड़े किए जा रहे थे। भारतीयों से भेदभाव, उन्हें वीजा और रोजगार न देने के मामलों ने दोनों देशों के रिश्ते में दरार पैदा कर दी थी।
पिछले साल दिसंबर में यामीन ने चीन के साथ FTA पर समझौता किया था, जिसका विपक्षी पार्टियों ने विरोध भी किया था। हालांकि इस साल सितंबर में नई सरकार के आने से भारत-मालदीव रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश भी तेज हो गई है। इसी कड़ी में सबसे पहले शनिवार को मालदीव के नए राष्ट्रपति ने शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया था। पीएम मोदी इस कार्यक्रम में शामिल भी हुए थे।