इंडोनेशिया: गुस्साई भीड़ ने 292 मगरमच्छों का कत्ल कर लिया मौत का बदला

इंडोनेशिया: गुस्साई भीड़ ने 292 मगरमच्छों का कत्ल कर लिया मौत का बदला

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-16 13:55 GMT
इंडोनेशिया: गुस्साई भीड़ ने 292 मगरमच्छों का कत्ल कर लिया मौत का बदला
हाईलाइट
  • इंडोनेशिया के सोरोंग जिले में गुस्साई भीड़ ने बेजुबान जानवर को अपना शिकार बनाया।
  • एक व्यक्ति की मौत का बदला लेने के लिए गुस्साई भीड़ ने मगरमच्छों को मौत के घाट उतार दिया गया।
  • मगरमच्छ का शिकार बना सुगिटो क्रोकोडाइल फार्म ब्रीडिंग सेंचुरी में सब्जियां तोड़ने गया था।

डिजिटल डेस्क, जकार्ता। इंडोनेशिया के सोरोंग जिले में गुस्साई भीड़ ने बेजुबान जानवर को अपना शिकार बनाया। यहां पर एक-दो नहीं बल्कि 292 मगरमच्छों को मौत के घाट उतार दिया गया। ये कत्लेआम एक व्यक्ति की मौत का बदला लेने के लिए किया गया, जिसे मगरमच्छ ने अपना शिकार बना लिया था। अधिकारियों ने बताया कि आवासीय इलाके के पास फार्म की मौजूदगी को लेकर गुस्साए ग्रामीण स्थानीय पुलिस थाने पहुंचे थे। उन्हें ये भी बताया गया था कि फार्म मुआवजा देने को तैयार है।

सब्जी तोड़ने गया था ग्रामीण
स्थानीय संरक्षण एजेंसी के प्रमुख बसर मनुलांग का कहना है कि 48 साल का जो शख्स मगरमच्छ का शिकार बना उसका नाम सुगिटो है। वह क्रोकोडाइल फार्म ब्रीडिंग सेंचुरी में सब्जियां तोड़ने गया था। इस दौरान वह मगरमच्छों के एक बाड़े में गिर गया। तभी वहां मौजूद एक कर्मचारी आवाज सुनकर मदद करने के लिए पहुंचा। उसने देखा कि मगरमच्छ ने किसी को अपना शिकार बना लिया है।

चाकू, हथौड़े और लाठियां से कत्लेआम
शनिवार को सुगिटो के फ्यूनरल के बाद सैकड़ों की संख्या में स्थानीय नागरिक क्रोकोडाइल फार्म ब्रीडिंग सेंचुरी पहुंची। उनके हाथों में चाकू, हथौड़े और लाठियां थी। गुस्साएं लोगों ने पहले तो क्रोकोडाइल फार्म के ऑफिस में तोड़फोड़ की और फिर सेंचुरी में मौजूद 292 मगरमच्छों को मार दिया। पुलिस और संरक्षण अधिकारियों का कहना था कि वह गुस्साई भीड़ को रोक पाने में असमर्थ थी। वह इस मामले की जांच कर रहे हैं।

इंडोनेशिया द्वीपसमूह में मगरमच्छों की कई प्रजातियां
गौरतलब है कि इंडोनेशिया द्वीपसमूह में मगरमच्छों की कई प्रजातियों समेत विभिन्न वन्यजीव पाए जाते हैं। मगरमच्छों को संरक्षित जीव माना जाता है। ये फार्म सॉल्ट वॉटर और न्यू गुनिया की संरक्षित प्रजाति के मगरमच्छों की ब्रीडिंग के लाइसेंस पर संचालित किया जा रहा था।    

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