FATF: न तुर्की की चली, न चीन का मिला साथ, आतंकियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बरकरार

FATF: न तुर्की की चली, न चीन का मिला साथ, आतंकियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बरकरार

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-23 17:01 GMT
FATF: न तुर्की की चली, न चीन का मिला साथ, आतंकियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बरकरार
हाईलाइट
  • एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे’ सूची में डाला था
  • पाक ने 27 में से सिर्फ 21 बिंदुओं पर काम किया है
  • पाकिस्तान ने इस साल 3800 बार किया संघर्षविराम उल्लंघन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली/पेरिस। पाकिस्तान को शुक्रवार को एक और बड़ा झटका लगा है। वह विश्व के शीर्ष आतंकवाद रोधी निगरानी समूह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर होने में विफल रहा है। इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार पेरिस स्थित FATF की आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है, इसलिए पाकिस्तान को फिलहाल ग्रे लिस्ट में ही बनाए रखने का फैसला लिया गया है। पहले से ही गंभीर आर्थिक और वित्तीय संकट से जूझ रहा पाकिस्तान 2018 से ग्रे लिस्ट में बना हुआ है।

ग्रे सूची में होने के कारण पहले से ही कर्ज में डूबे इस्लामिक रिपब्लिक को अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। भारत कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से परोसा जा रहा सीमा पार आतंकवाद और 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मास्टरमाइंड और योजनाकारों के खिलाफ निष्क्रियता के खिलाफ लगातार विरोध जताता रहा है। प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन और उनके प्रमुख हाफिज सईद, मसूद अजहर और सैयद सलाहुद्दीन को पाकिस्तान में संरक्षण प्राप्त है। इस साल की शुरुआत में जारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तीनों आतंकवादी समूह अफगानिस्तान में अल कायदा और तालिबान के साथ सहयोग कर रहे हैं।

भारत ने गुरुवार को दृढ़ता से सिफारिश की थी कि पाकिस्तान, जो प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह देना जारी रखता है, उसे ग्रे सूची में ही रखा जाना चाहिए। शुक्रवार को अपने तीन दिवसीय वर्चुअल पूर्ण सत्र के समापन के बाद, FATF ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में रखने का फैसला किया। सूत्रों ने कहा कि आतंकवाद के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने को लेकर पाकिस्तान के लिए जो 27 मापदंड तय किए गए थे, उनका पालन करने में वह विफल रहा है।

पाक ने 27 में से सिर्फ 21 बिंदुओं पर काम किया
भारत ने पाकिस्तान की सच्चाई से दुनिया के सामने पर्दा उठाया और बताया है कि पाक ने 27 में से सिर्फ 21 बिंदुओं पर काम किया है और अभी भी वहां आतंकियों को पनाह दी जा रही है। भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया और दाउद इब्राहिम जैसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है। भारत ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कही इकाइयों और लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि FATF के 6 ऐसे अहम बिंदु हैं जिन पर पाकिस्तान ने कोई काम नहीं किया है। 

पाकिस्तान के बचाव में उतरा तुर्की, नहीं गली दाल
FATF की प्लेनरी में पाकिस्तान के बचाव के लिए तुर्की खुलकर बैटिंग करता दिखा। उसने सदस्य देशों से कहा कि हमें पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए और 27 में 6 मानदंडों को पूरा करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए। लेकिन, FATF के बाकी देशों ने तुर्की के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तुर्की, मलेशिया और सऊदी अरब से सहायता मांगी थी।

अमेरिका-फ्रांस समेत ये देश भी पाकिस्तान के खिलाफ
इसके अलावा नामित करने वाले चार देश-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी पाकिस्तान की सरजमीं से गतिविधियां चला रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की उसकी प्रतिबद्धता से संतुष्ट नहीं हैं। FATF ने पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण को पूरी तरह रोकने के लिए कुल 27 कार्ययोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी दी थी जिनमें से उसने अभी 21 को पूरा किया है और कुछ काम पूरे नहीं कर सका है।

ग्रे लिस्ट में बना रहा पाकिस्तान तो क्या होगा असर
अगर पाकिस्तान FATF की इस बैठक में भी ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है। पाकिस्तान को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (IMF), विश्‍व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की हालात और खराब हो जाएगी। दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है। क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है।

पाक ने 88 प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके नेताओं पर वित्तीय पाबंदी लगाई थी
गौरतलब है कि कर्ज से दबे पाकिस्तान ने FATF की ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत अगस्त महीने में 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके नेताओं पर वित्तीय पाबंदी लगाई थी। इनमें मुंबई हमले का सरगना और जमात-उद दावा प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मुहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भी शामिल है।

चार महीने मिली थी राहत
इससे पहले FATF ने कोरोना महामारी को देखते हुए पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट पर फैसला चार महीने के लिए टाल दिया था। FATF के इस फैसले से पाकिस्‍तान को चार महीने की अंतरिम राहत मिल गई थी। दरअसल, पेरिस स्थित FATF की पहले जून में  बैठक होनी थी। उसमें में यह तय किया जाना था कि क्‍या पाकिस्‍तान को ग्रे लिस्‍ट से हटाया जाए या फिर उसे ब्‍लैक लिस्‍ट में डाल दिया जाए। तब FATF ने एक बयान में कहा था कि रिव्यू प्रक्रिया को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है। मॉनिटरिंग की प्रक्रिया 4 अतिरिक्त महीने के लिए बढ़ा दी गई है। इस प्रकार, FATF जून में इनकी समीक्षा नहीं कर रहा। इसके कारण FATF की इस राहत के बाद पाकिस्तान पर फैसला अब अक्टूबर में आया है।

FATF ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे’ सूची में डाला था
FATF ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे’ सूची में डाला था और इस्लामाबाद को धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की 27 बिंदुओं की कार्य योजना को वर्ष 2019 के अंत तक लागू करने को कहा था। कोविड महामारी की वजह से इस मियाद में वृद्धि कर दी गई।

पाकिस्तान ने इस साल 3800 बार किया संघर्षविराम उल्लंघन
इस साल पाकिस्तान ने 3800 बार बिना उकसावे के नागरिक इलाकों में संघर्षविराम का उल्लंघन किया है। इसकी आड़ में आतंकियों को घुसपैठ करने में मदद की कोशिश की गई ताकि हथियार पहुंचाए जा सकें। उन्होंने कहा कि ड्रोन और क्वॉडकॉप्टर की मदद से हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी की कोशिश की जा रही है। कूटनीतिक माध्यमों और नियमित डीजीएमओ के स्तर की वार्ता से इस तरह के उल्लंघन के बारे में पाकिस्तान को लगातार अवगत कराया जा रहा है।

फरवरी में हुई थी बैठक
इससे पहले FATF की फरवरी में हुई बैठक में पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने में विफल रहा था। FATF की यह बैठक फ्रांस की राजधानी पेरिस में फरवरी में हुई थी। FATF की ओर से पाकिस्तान को जून 2020 तक का समय दिया गया। हालांकि जून में इस समय अवधि को चार महीने के लिए और बढ़ा दिया गया था। इस दौरान पाकिस्तान को 27 प्वाइंट एक्शन प्लान पर काम करना था। अगर पाक इसमें कामयाब हो जाता तो ग्रे-लिस्ट से बाहर आ सकता था लेकिन पाकिस्तान इसमें विफल रहा है।

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