पनामा ने ताइवान के साथ रिश्ते तोड़े, 'एक चीन नीति' को समर्थन

पनामा ने ताइवान के साथ रिश्ते तोड़े, 'एक चीन नीति' को समर्थन

Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-13 09:41 GMT
पनामा ने ताइवान के साथ रिश्ते तोड़े, 'एक चीन नीति' को समर्थन

टीम डिजिटल, पनामा सिटी. पनामा ने सोमवार देर रात ताइवान से सभी तरह के कूटनीतिक संबंधों को खत्म कर दिया. पनामा ने यह फैसला चीन से अपने सम्बंधों को मधुर बनाने के लिए किया है. पनामा के राष्ट्रपति जुआन कार्लोस वेरेला ने इस बदलाव की घोषणा करते हुए कहा कि हमें ताइवान के साथ औपचारिक संबंधों को तोड़ने की ज़रूरत है, यह निर्णय हमारे देश के लिए सही राह दिखाता है. इसी निर्णय के साथ पनामा और चीन ने राजदूत स्तर के संबंधों की स्थापना भी की.

पनामा और चीन द्वारा संयुक्त बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया, 'पनामा गणराज्य की सरकार एक चीन की नीति पर विश्वास करती है. चीन की सरकार पूरे चीन की एकमात्र कानूनी सरकार है और ताइवान इसका अभिन्न हिस्सा है.' गौरतलब है कि चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का एक हिस्सा समझता है और दुनिया के अधिकतर देश चीन से अपने सम्बंधों को मजबूत बनाए रखने के लिए ताइवान को नजरअंदाज करते आए हैं. दुनिया में अधिकांश देश एक चीन नीति का समर्थन करते हैं. वहीं ताइवान के पनामा के साथ कूटनीतिक रिश्ते खत्म होने के बाद अब केवल 20 देशों और सरकारों के साथ आधिकारिक संबंध हैं, जिनमें से 12 लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन देश हैं.

चीन और ताइवान ने कई देशों में कूटनीतिक मान्यता हासिल करने के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा की है, कई बार छोटे या गरीब देशों को सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए करोड़ों डॉलर के वादे के साथ कूटनीतिक सम्बंधों को इधर से उधर स्विच करने के लिए आकर्षित किया गया. पनामा के राष्ट्रपति वारेला ने 2014 में अपने राष्ट्रपति अभियान के दौरान ऐतिहासिक, आर्थिक और रणनीतिक कारणों के लिए राजनयिक मान्यता बदलने की संभावना का सुझाव दिया था.

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