रोहिंग्या संकट आतंकवादियों के लिए एक बड़ा मौका : अमेरिकी सांसद

रोहिंग्या संकट आतंकवादियों के लिए एक बड़ा मौका : अमेरिकी सांसद

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-08 14:46 GMT
रोहिंग्या संकट आतंकवादियों के लिए एक बड़ा मौका : अमेरिकी सांसद

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। म्यांमार में कत्लेआम के बाद वहां से देश छोड़कर भाग रहे रोहिंग्या मुसलमान अब दक्षिण एशिया के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। रोहिंग्या संकट बड़ी संख्या में दक्षिण एशिया में अस्थिरता की वजह बन सकता है। यह चेतावनी अमेरिकी सांसद की तरफ से दी गई है। उन्होंने कहा है कि यह रोहिंग्या संकट अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादियों को एक मौका दे सकता है।

जानकारी के अनुसार म्यांमार में सुरक्षाबलों पर हिंसा का आरोप लगाकर अब तक 8 लाख से अधिक रोहिंग्या पलायन कर चुके हैं। बड़ी भारी संख्या में यह मुसलमान बांग्लादेश, भारत और नेपाल में शरण ले रहे हैं। अमेरिका ने रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए 32 मिलियन डॉलर की मदद का वादा किया है। इसमें से 28 मिलियन डॉलर की मदद बांग्लादेश को भेजी जाएगी, जहां करीब 5 लाख रोहिंग्या शरणार्थी हैं।

मामले में ग्लोबल मीडिया ने एक वरिष्ठ अमेरिकी दक्षिणपूर्वी एशिया के अधिकारी पैट्रिक मर्फी के हवाले से ये बातें कहीं हैं। पैट्रिक मर्फी ने विदेशी मामलों की हाउस कमिटी के सामने कहा कि छह सप्ताह पहले म्यांमार के सुरक्षाबलों पर रोहिंग्या विद्रोहियों के हमले का जवाब गलत तरीके से देने का आरोप लगा। उन्होंने इसको जातीय हिंसा की बजाय "मानव त्रासदी" की स्थिति बताया।

  • म्यांमार पर प्रतिबंध की पेशकश

अमेरिकी सांसदों ने रोहिंग्या पर हिंसा की आलोचना करते हुए म्यांमार पर प्रतिबंध लगाने को कहा है। साथ ही म्यांमार के हिंसा प्रभावित क्षेत्र रखाइन में पत्रकारों और राहत कर्मियों के प्रवेश को सुनिश्चित करने को भी कहा है। विदेशी मामलों की कमिटी के चेयरमैन और रिपब्लिकन सांसद एड रॉयस ने कहा कि हमें इस पूरी तरह से "जातीय सफाई" मान रहे हैं। एक दूसरे सांसद ने कहा कि अमेरिका को म्यांमार के मिलिटरी नेतृत्व पर प्रतिबंध लगाने के बारे में सोचना चाहिए।

  • बांग्लादेश को उकसा रही म्यांमार सेना

गौरतलब है कि हाल ही में बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने अचानक ही अपने तेवर कड़े करते हुए म्यांमार पर उकसाने और सीमा में घुसने जैसे आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा की म्यांमार की फ़ौज कई बार बांग्लादेशी सीमा रक्षकों को उकसाने की कोशिश करती रही पर बांग्लादेशी की सीमा पर तैनात फ़ौज हमेशा अनुशासित ढंग से उनके उकसावे में नहीं आई। उन्होंने म्यांमार की फ़ौज को युद्धोन्मादी बताते हुए अपनी सरकार और अपनी सेना को बेहद अनुशासित और संयमित घोषित करने के हर संभव तर्क और दलीलें दी।

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