ब्रिटेन में सिख दम्पत्ति से नस्लीय भेदभाव, बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं

ब्रिटेन में सिख दम्पत्ति से नस्लीय भेदभाव, बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-27 10:48 GMT
ब्रिटेन में सिख दम्पत्ति से नस्लीय भेदभाव, बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं

एजेंसी, लंदन। ब्रिटेन में एक भारतीय मूल के दंपत्ति के साथ नस्लीय भेदभाव का मामला सामने आया है। यूके के सिख दंपत्ति संदीप और रीना मंदर का आरोप है कि उन्हें उनके "सांस्कृतिक विरासत" के कारण गोरे बच्चे को गोद लेने से ब्रिटेन में मना कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश या यूरोपीय आवेदकों के आधार पर उन्हें किसी भी गोरे बच्चे को गोद लेने की अनुमति बर्कशायर एडॉप्ट एजेंसी की तरफ से नहीं दी गई। संदीप और रीना ने एजेंसी पर आरोप लगाते हुए कहा कि एजेंसी ने उनसे कहा कि अगर वह गोरा बच्चा गोद लेना चाहते हैं, तो उन्हें भारत या पाकिस्तान जाना चाहिए।

दंपत्ति ने कहा कि उन्होंने मई में एक बच्चे को गोद लेने के लिए ब्रिटेन की बर्कशायर एडॉप्ट एजेंसी में आवेदन किया था, लेकिन एजेंसी ने उन्हें बच्चा गोद देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि एजेंसी में अभी सिर्फ गोरे बच्चे ही उपलब्ध हैं। वे उनकी सांस्कृतिक विरासत के कारण एजेंसी से कोई भी बच्चा गोद नहीं ले सकते हैं। वे इस मामले को कोर्ट में लेकर जाएंगे, क्योंकि ब्रिटेन में बच्चा गोद लेने के लिए एक ही तरह के जातीय पृष्ठभूमि का होना ज़रूरी नहीं है। इसके अलावा वे इस मामले को इक्वलिटी एंड ह्यूमन राईट कमीशन में भी उठाएंगे।  
वहीं बर्कशायर एडॉप्ट एजेंसी के मुताबिक, एजेंसी में उपलब्ध बच्चे उस क्षेत्र के जातीय, सांस्कृतिक और धर्म को प्रतिबिंबित करते हैं, इसलिए बच्चों को पहले ब्रिटेन रहवासियों को गोद देने की प्राथमिकता देते हैं। हालांकि उचित लोग न मिलने पर दूसरे लोगों को बच्चा गोद लेने की अनुमति है। 

 

 

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