श्रीलंका ने 99 वर्ष के लिए चीन को सौंपा 'हंबनटोटा', भारत की मुश्किलें बढ़ीं

श्रीलंका ने 99 वर्ष के लिए चीन को सौंपा 'हंबनटोटा', भारत की मुश्किलें बढ़ीं

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-09 16:32 GMT
श्रीलंका ने 99 वर्ष के लिए चीन को सौंपा 'हंबनटोटा', भारत की मुश्किलें बढ़ीं

डिजिटल डेस्क, कोलंबो। श्रीलंका ने भारत की मुश्किलें बढ़ाते हुए चीन को दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा सौंप दिया है। श्रीलंका ने औपचारिक तौर पर घोषणा करते हुए हंबनटोटा को 99 वर्ष के लिए चीन को लीज पर दे दिया है। श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह को पट्टे पर देने के बदले चीन से अभी शुरूआती भुगतान बतौर 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए है। इस घोषणा के बाद से भारत की काफी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, हंबनटोटा बंदरगाह का प्रंबंधन दो चीनी फर्म हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप (एचआईपीजी) और हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट सर्विसेज (एचआईपीएस) के हाथों में होगा। 209 मिलियन डॉलर की लागत से बने हंबनटोटा एयरपोर्ट में 190 मिलियन डॉलर चीन की तरफ से लगे हैं। इससे पूर्व हंबनटोटा बंदरगाह संचालन के लिए श्रीलंका को 8 प्रस्ताव मिल चुके थे, जिसमें भारत भी शामिल था। मगर अब हंबनटोटा बंदरगाह को चीन द्वारा अधिगृहित करते ही भारत के लिए खतरे की घंटी बजनी शुरू हो गई है।

आशंका जताई जा रही है कि हंबनटोटा बंदरगाह हिंद महासागर में चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल में प्रमुख भूमिका निभाएगा। हांलाकि इस बंदरगाह के सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह से श्रीलंका की नौसेना करेगी। ऐसा माना जा रहा है कि श्रीलंका ने भारत की सामरिक चिंताओं को ध्यान में रखकर हंबनटोटा बंदरगाह को चीन के नाम किया है। हंबनटोटा बंदरगाह के जरिए चीन इस रूट पर काबिज होकर भारत के लिए कई तरह की रूकावटें पैदा कर सकता है।

श्रीलंका की जनता भी नहीं चाह रही थी कि सरकार हंबनटोटा बंदरगाह को चीन के हाथों बेचे। इसके लिए बौद्ध भिक्षुओं सहित श्रीलंका की जनता ने सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन भी किया था। बता दें कि हंबनटोटा बंदरगाह कोलंबो से 250 किमी दूर दक्षिण में स्थित है। हंबनटोटा बंदरगाह व्यापारिक दृष्टिकोण से काफी मायने रखता है, विशेषकर पश्चिम एशिया से आने वाले कच्चे तेल के जहाज इसी रास्ते से होकर गुजरते हैं।

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