मालदीव : सुप्रीम कोर्ट का फैसला, यामीन को छोड़ना होगा राष्टपति पद

मालदीव : सुप्रीम कोर्ट का फैसला, यामीन को छोड़ना होगा राष्टपति पद

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-21 12:29 GMT
मालदीव : सुप्रीम कोर्ट का फैसला, यामीन को छोड़ना होगा राष्टपति पद
हाईलाइट
  • गयून ने राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और दोबारा चुनाव कराने की मांग की थी।
  • मालदीव के राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयून को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है।
  • सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने चुनाव परिणामों का वैध घोषित कर दिया।

डिजिटल डेस्क, माले। मालदीव के राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयून को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। गयून ने राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और दोबारा चुनाव कराने की मांग की थी। उन्होंने अपनी याचिका में 23 सितंबर को हुए चुनाव में मतपत्रों से छेड़छाड़ और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, लेकिन अब वह केस हार गए हैं। रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव परिणामों का वैध घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया है।

30 सितंबर को, चुनाव आयोग ने विपक्षी नेता इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को विजेता घोषित कर दिया था। छह दिन बाद यामीन जिनका पांच साल का कार्यकाल 17 नवंबर को समाप्त हुआ था ने हार मान ली। लेकिन बाद में उन्होंने अपने समर्थकों की वोट को लेकर शिकायत मिलने के बाद "संवैधानिक मामला दायर किया" और समर्थकों से नतीजे का विरोध करने का भी आग्रह किया था। राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयून ने अपनी याचिका में दावा किया था कि चुनाव आयोग ने मतपत्र के साथ छेड़छाड़ करते हुए गायब होने वाली स्याही का इस्तेमाल किया है, जिस कारण उनका नाम मतपत्र से मिट गया है। इतना ही नहीं उन्होंने पेन रिंग और फर्जी मतपत्रों के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया था।

मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया था कि वोटिंग के बाद पांच सदस्यीय चुनाव आयोग में से चार को चुनाव के बाद भागने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्हें यामीन के समर्थकों से धमकियां मिल रही थी। रविवार को पांच जजों की बेंच ने कहा कि यामीन ने जो आरोप लगाए थे उसके सबूत पेश करने में वह नाकाम रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला यामीन के उस बयान के चार दिनों बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह राष्ट्रपति के पद को छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

मालदीव में 2008 में डेमोक्रेसी आई थी और मोहम्मद नशीद डेमोक्रेटिक तरीके से चुने गए देश के पहले राष्ट्रपति थे। साल 2012 में पुलिस विद्रोह के बाद नशीद को मजबूरी में पद छोड़ना पड़ा था। तभी से वहां राजनीतिक अस्थिरता है। साल 2013 में राष्ट्रपति यामीन के सत्ता में आने के बाद से ही वहां विपक्षियों को जेल में डाला जाने लगा, बोलने की आजादी छीन ली गई और ज्यूडीशियरी पर भी खतरा पैदा हो गया। 2015 में यामीन ने नशीद को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जेल भिजवा दिया, उन्हें 13 साल की सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद ब्रिटेन ने उन्हें राजनीतिक शरण दी थी। अमेरिका और भारत लगातार मालदीव के राष्ट्रपति पर मोहम्मद नाशीद को रिहा करने का दबाव बना रहे हैं। 
 

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