अमेरिकी राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल तुलसी बोलीं- हिंदू होने के कारण मुझे बनाया जा रहा है निशाना

अमेरिकी राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल तुलसी बोलीं- हिंदू होने के कारण मुझे बनाया जा रहा है निशाना

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-28 16:26 GMT
अमेरिकी राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल तुलसी बोलीं- हिंदू होने के कारण मुझे बनाया जा रहा है निशाना
हाईलाइट
  • तुलसी गबार्ड ने अपने आलोचकों पर धार्मिक कट्टरता का आरोप लगाया है।
  • तुलसी ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी मुलाकात को गलत तरीके से दर्शाया गया।
  • तुलसी ने कहा कि यह आलोचकों की दोहरेपन को दर्शाता है।

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश करने वाली तुलसी गबार्ड ने अपने आलोचकों पर धार्मिक कट्टरता का आरोप लगाया है। तुलसी ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी मुलाकात को गलत तरीके से दर्शाया गया। वहीं मेरे अलावा उनसे मिल चुके यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और बाकी नेताओं पर सवाल नहीं उठाए गए। यह आलोचकों की दोहरेपन को दर्शाता है। तुलसी ने कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा क्योंकि मैं हिंदू हूं और वह नहीं हैं। तुलसी ने कहा कि उन्हें कांग्रेस की तरफ से चुनी गई पहले अमेरिकी हिंदू और राष्ट्रपति पद के लिए पहली अमेरिकी-हिंदू दावेदार होने पर गर्व है। 

37 वर्षीय तुलसी ने कहा, "मैं धार्मिक कट्टरता का शिकार हो गई हूं। कुछ मीडिया आउटलेट मुझे और मेरे उन सभी समर्थकों को निशाना बना रहे हैं, जिनका नाम हिंदू है। मीडिया वाले हमें हिंदू राष्ट्रवादी बता रहे हैं। क्या कल से लोगों को मुस्लिम या यहूदी अमेरिकी कहा जाएगा? क्या उन्हें जापानी या अफ्रीकी अमेरिकी कहा जाएगा? मेरे पीएम मोदी से मिलने पर देश के प्रति मेरी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए गए, जबकि जो भी गैर-हिंदू नेता उनसे मिले उनसे पूछताछ नहीं की गई। यह आलोचकों के दोहरा मानक को दर्शाता है।"

तुलसी ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कि भारत के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेता हैं, उनके साथ मेरी बैठकों को प्रमाण के रूप में दिखाया गया। इसे असमान्य और संदिग्ध भी बताया गया है। वहीं पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, सचिव हिलेरी क्लिंटन और मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कांग्रेस में मेरे कई सहयोगियों ने उनसे मुलाकात की और उनके साथ काम किया। उनके मिलने पर कुछ भी नहीं कहा गया। यह गलत है। मेरे देश के प्रति मेरी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना गलत है। यह धार्मिक कट्टरता को दर्शाता है, क्योंकि मैं हिंदू हूं और वह नहीं हैं।। यह जानते हुए भी कि भारत और यूएस के बीच रणनीतिक साझेदारी कई दशकों से प्राथमिकता रही है। भारत एशिया में अमेरिका के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है।"

तुलसी ने कहा, "मुझे कांग्रेस में चुनी जाने वाली पहली अमेरिकी-हिंदू होने और राष्ट्रपति पद के लिए पहली अमेरिकी-हिंदू दावेदार होने पर गर्व है। राष्ट्रपति पद के लिए मेरी दावेदारी को ऐतिहासिक बताया जा रहा है। हो सकता है दुनिया के तीसरे सबसे बड़े धर्म के बारे में अमेरिकियों को भी सूचित किया गया हो। हालांकि कुछ लोग इससे खुश नहीं हैं और न केवल मेरे, बल्कि मेरे समर्थकों के बारे में भी संदेह, भय और धार्मिक कट्टरता की झूठी बातें कर रहे हैं। यहां कुछ लोग अभी तक हिंदूओं और दूसरे अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश कर रहे हैं। मेरे साथ इससे पहले भी यह घटनाएं हो चुकी हैं। 2012 और 2014 के चुनावों के दौरान, मेरे रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि एक हिंदू को अमेरिकी कांग्रेस में सर्व करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।" 

गबार्ड ने कहा, "2012 के चुनाव के बाद मैंने हिंदू धर्मग्रंथ और भगवद गीता पढ़ा। जहां कृष्ण भगवान की बातों ने मुझे अपने जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया। मैंने इराक युद्ध के दौरान मिडल ईस्ट में यूएस की सेवा कर रही थी। जो लोग हिंदू विरोधी भावना को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए। किसी भी धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी के खिलाफ मतदान करने की वकालत करना यूएस की नीतियों के खिलाफ है।" बता दें कि तुलसी ने पिछले साल सितंबर में शिकागो में विश्व हिंदू कांग्रेस के अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया था।

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