रूस के साथ भारत की मिसाइल डील को रोकने के लिए अमेरिका दे सकता है ऑफर  

रूस के साथ भारत की मिसाइल डील को रोकने के लिए अमेरिका दे सकता है ऑफर  

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-27 05:52 GMT
रूस के साथ भारत की मिसाइल डील को रोकने के लिए अमेरिका दे सकता है ऑफर  

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के रूस से हथियार खरीदने की निर्भरता को लेकर ट्रंप प्रशासन भारत के सामने रियायत की पेशकश कर सकता है, लेकिन भारत को इसके लिए रूस से खरीदे जाने वाले हथियारों की निर्भरता काम करना होगा। रूस से एस- 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेकर होने वाले सौदे पर अमेरिका सक्रिय हो गया है। अमेरिका कांग्रेस में एक विधेयक पर जमकर बहस की जा रही है। जिसका उद्देश्श्य अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाना है। अमेरिका कांग्रेस में रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर उन देशों की कंपनियों को भी शामिल किया गया जो अमेरिकी कंपनियों से खरीदारी करती हैं।

 

 

बता दें कि रूस से करीब 39 हजार करोड़ रूपये के एस-400 सौदे को रोकने के लिए अमेरिका भारत को किफायती दाम पर अपने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए मनाने की कोशिश कर सकता है। इस संबंध में 6 जुलाई को भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से वाशिंगटन में बातचीत होगी। जहां इंडो-यूएस 2+2 डायलॉग होने जा रहा है। इस बीच अमेरिका-भारत टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) सिस्टम के बारे में बातचीत हो सकती है। यह एक ऐसा मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जो लॉन्ग रेंज के मिसाइल के हमले को रोकने में खास तौर पर कामयाब होता है। 

 

 

रूस का एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम बड़े हवाई हमलों, खासकर एफ-18 और एफ-35 जैसे लड़ाकू विमानों से होने वाले हमलों को रोकने में कारगर है। रूस में बने एस-400 के नवीनतम संस्करण से भी लॉन्ग रेंज के हमलों को रोका जा सकता है, लेकिन इस बात पर विचार करना है कि इंटरमीडिएट और इंटरकॉन्ट‍िनेंटल बैलिस्ट‍िक मिसाइल के खिलाफ क्या यह अमेरिकी THAAD से ज्यादा प्रभावी है।

 


बता दें कि भारत ने एयर फोर्स के लिए रूस से S-400 ट्रंफ एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदने के लिए उसकी कीमत से संबंधी बातचीत बहुत पहले ही पूरी कर ली थी। चीन को टक्कर देने के लिए भारत ने रूस के साथ करीब 40,000 करोड़ रुपए में डील तय की है। इस डील की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया था कि अब दोनों देश अमेरिकी कानून के प्रावधानों से बचने के तरीके तलाश रहे हैं। इसमे रूस के रक्षा या खुफिया प्रतिष्ठानों से सौदा करने वाले देशों और कंपनियों को दंड देने का प्रावधान है।

 

 

 

क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों को भी जमींदोज कर सकता है एस-400

  • एस-400 ट्रायंफ एक विमान भेदी मिसाइल है।
  • एस-400 ट्रायंफ रूस की नई वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का हिस्सा है, जो 2007 में रूसी सेना में तैनात की गई थी।
  • इन डिफेंस सिस्टम से विमानों, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों तथा ज़मीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है।
  • ये मिसाइलें 400 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं. इसके पास अमेरिका के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट एफ-35 को गिराने की भी कैपिसिटी है।
  • इस डिफेंस सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं।
  • मिसाइल से लेकर ड्रोन तक यानी इसकी मौजूदगी में कोई भी हवाई हमला आसानी से नाकाम किया जा सकता है।
  • पाकिस्तान या चीन की न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइलों से भी यह बचाएगा. यह एक तरह का मिसाइल शील्ड है।

 

 

S-400 को वहां की अलमाझ-एंटे कंपनी बनाती है और यह 2007 से रुसी सेना में शामिल है। बता दें कि भारत इसके बारे में डेढ़ साल से भी अधिक समय से बात कर रहा है। और कम से कम पांच S-400 खरीदना चाहता है। यह प्रणाली तीन अलग अलग प्रकार के प्रक्षेपास्त्र दाग सकती है। इस तरह यह तीन लेयर्स में सुरक्षा कवच बनाती है। सूत्रों ने कहा कि रुस के साथ पांचवी पीढ़ी के विमानों के सौदे के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है क्योंकि इसकी लागत बहुत ऊंची है।

 

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