पाकिस्तान को पैसा देने के लिए तैयार है अमेरिका, लेकिन इस शर्त पर

पाकिस्तान को पैसा देने के लिए तैयार है अमेरिका, लेकिन इस शर्त पर

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-09 04:36 GMT
पाकिस्तान को पैसा देने के लिए तैयार है अमेरिका, लेकिन इस शर्त पर

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। नए साल की शुरुआत पर पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद रोकने के बाद अब अमेरिका ने इसे बहाल करने के लिए नई शर्त रखी है। अमेरिकी डिफेंस मिनिस्ट्री पेंटागन के प्रवक्ता कर्नल रॉब मैनिंग ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद को फिर से बहाल करने की शर्तों के बारे में बताया कि "अगर पाकिस्तान अपनी धरती पर हक्कानी नेटवर्क और तालिबान को पनाह नहीं देता है, तो फिर से सैन्य मदद देने को तैयार है।" बता दें कि इसी साल की शुरुआत में अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 1628 करोड़ रुपए की मदद पर रोक लगा दी है।

आतंक के खिलाफ हम पाकिस्तान के साथ

पेंटागन के प्रवक्ता कर्नल रॉब मैनिंग ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया "हमने पाकिस्तान को बता दिया है कि अमेरिका कौन से ठोस कदम उठा सकता है। हालांकि आतंक के खिलाफ लड़ाई में हम पाकिस्तान के साथ हैं और इस बारे में हम उससे बातचीत जारी रखेंगे।" रॉब मैनिंग ने बताया कि "हमारी उम्मीदें साफ है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान की धरती पर पनाह नहीं मिलनी चाहिए।"

चीन आया पाकिस्तान के साथ

वहीं अमेरिका की तरफ से सैन्य मदद रोके जाने पर पाकिस्तान को अब चीन का साथ भी मिल गया है। सोमवार को चीनी फॉरेन मिनिस्ट्री के प्रवक्ता लु कांग ने अमेरिका का विरोध करते हुए कहा है कि "चीन ने हमेशा से किसी एक देश से आतंकवाद को जोड़ने का विरोध किया है और हम आतंकवाद से निपटने की जिम्मेदारी किसे एक देश के कंधे पर डालने के भी खिलाफ हैं। हमने कई बार कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान ने कई बलिदान दिए हैं।" लु कांग ने आगे कहा कि "आतंक विरोधी अभियानों में हम सबको साथ आना चाहिए, न कि एक-दूसरे पर उंगली उठाना चाहिए।" इसके साथ ही लु कांग ने भारत को भी सलाह देते हुए कहा है कि वो अपने पड़ोसी देशों के बारे में भी सोचे।

आतंकियों पर नरमी बर्दाश्त नहीं: CIA चीफ

इसके अलावा अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी CIA के चीफ माइक पॉम्पियो ने साफ कर दिया है कि आतंकियो पर नरमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। माइक पॉम्पियो ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "हमने पाकिस्तान को ये मैसेज देने की कोशिश की है कि अब पहले जैसा नहीं चलेगा, इसलिए मदद रोककर उसे एक और मौका दिया गया है और अब आतंकिया पर नरमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर वो खुद को बदल लेता है और समस्या के समाधान के लिए आगे आता है, तो अमेरिका दोबारा पाकिस्तान के साथ एक पार्टनर के तौर पर संबंध बढ़ाने को तैयार है, लेकिन अगर वो ऐसा नहीं करता है तो हम अमेरिका की सुरक्षा करने जा रहे हैं।"

1628 करोड़ रुपए की सैन्य मदद पर रोक लगाई

बता दें कि अमेरिका ने 2 जनवरी को पाकिस्तान को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद पर रोक लगा दी है। इंडियन करेंसी के हिसाब से ये अमाउंट 1628 करोड़ रुपए है। इसके एक दिन पहले ही अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी और सैन्य मदद रोकने की धमकी दी थी और अगले ही दिन अमेरिका ने ये एक्शन लिया है। इस बात की जानकारी देते हुए व्हाइट हाउस ने बताया था कि "अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद रोक दी है। अब पाकिस्तान को किसी भी तरह की मदद देने से पहले देखा जाएगा, कि पाक ने आतंकवाद के खिलाफ क्या और कितनी कारगर कार्रवाई की है।"

डोनाल्ड ट्रंप ने दी थी पाक को धमकी

अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने 1 जनवरी को ट्वीट कर पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी थी। ट्रंप ने सोमवार को ट्वीट किया था "अमेरिका पिछले 15 सालों से पाकिस्तान को 33 बिलियन डॉलर (करीब 2 लाख करोड़ रुपए) की मदद करता आ रहा है, लेकिन बदले में उन्होंने हमें केवल झूठ और धोखा ही दिया। पाकिस्तान ने हमारे लीडर्स को मूर्ख समझा। उसने उन आतंकियों को अपने यहां पनाह दी, जिन्हें हम अफगानिस्तान में तलाश रहे थे। ये अब और नहीं।"

पाक एक-एक पैसे का हिसाब देने को तैयार

वहीं अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के इस ट्वीट के बाद पाकिस्तान ने भी कहा है कि वो एक-एक पैसे देने को तैयार है। पाकिस्तान आर्मी के जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि "उसे अमेरिका से जो भी मदद मिली, वो अलकायदा के खिलाफ वॉशिंगटन की लड़ाई में इस्लामाबाद के सहयोग के बदले में थी।" उन्होंने आगे कहा कि "पाकिस्तान ने अलकायदा के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका को हर तरह की मदद मुहैया कराई है। हमने अमेरिका को सैन्य ठिकाने इस्तेमाल करने दिए और खुफिया जानकारियां दी, लेकिन बदले में हमने कुछ नहीं लिया।"

2002 के बाद से अमेरिका ने की खुलकर मदद

अमेरिका में 2002 में हुए वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद से अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए पाकिस्तान की खुलकर मदद की है। इस मदद में बजट का बड़ा हिस्सा, लगभग 70% सैन्य मदद के तौर पर दिया गया। जबकि बाकी का हिस्सा शिक्षा और बाकी कामों के लिए दिया गया। 2002 में अमेरिका ने पाकिस्तान को 2 बिलियन डॉलर की मदद की थी और इसके बाद से ही हर साल आंतकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए अमेरिका पाकिस्तान की मदद करते आ रहा है। वहीं, रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने भी ये दावा किया है कि 2001 के बाद आतंक के खिलाफ लड़ने के लिए उसने 80 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं।

भारत कर चुका है पाकिस्तान को एक्सपोज

केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से भारत अमेरिका और यूएन जैसे इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स पर पाकिस्तान को एक्सपोज करता रहा है। पीएम मोदी कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने की बजाय, उन्हें अपनी धरती पर पनाह देता है। इसके साथ ही भारत पाकिस्तान को दुनिया में "टेररिस्तान" साबित करने में कामयाब रहा है। वहीं अमेरिका भी हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन जैसे आतंकियों को "ग्लोबल टेररिस्ट" घोषित कर चुका है। साथ ही अमेरिका कई बार पाकिस्तान को आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दे चुका है। पिछले साल ही जब अमेरिका ने नई अफगानिस्तान नीति जारी की थी, तब प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि "एक ओर पाकिस्तान की अवाम आतंकवाद का सामना कर रही है तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए सबसे सुरक्षित देश है, वो आतंकियों को अपने यहां पनाह दे रहा है।" इस सबके बावजूद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। 

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