चीन पर बढ़ेगा दबाव, राष्ट्रपति बाइडेन ने जांच एजेंसियों से कहा- 90 दिन में पता लगाएं कोरोना वायरस कहां से आया ?

चीन पर बढ़ेगा दबाव, राष्ट्रपति बाइडेन ने जांच एजेंसियों से कहा- 90 दिन में पता लगाएं कोरोना वायरस कहां से आया ?

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-27 06:28 GMT
चीन पर बढ़ेगा दबाव, राष्ट्रपति बाइडेन ने जांच एजेंसियों से कहा- 90 दिन में पता लगाएं कोरोना वायरस कहां से आया ?
हाईलाइट
  • कोरोना पर चीन को घेरने की अमेरिकी रणनीति
  • कोरोनावायरस कहां से आया ये पता लगाना होगा- बाइडेन
  • जो बाइडेन ने US की जांच एजेंसियों से 90 दिन में रिपोर्ट मांगी

डिजिटल डेस्क, न्यूयॉर्क। क्या कोरोनावायरस चीन के वुहान शहर की प्रयोगशाला से फैला है ? क्या कोरोना किसी जानवर से इंसानों तक पहुंचा है ? इस बारे में किसी भी देश के पास 100 प्रतिशत सही जानकारी नहीं है। कोरोनावायरस की उत्पत्ति कैसे हुई इस बारे में जानने के लिए अमेरिका ने एक बार फिर कोशिश तेज कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सभी जांच एजेंसियों से कहा है कि 90 दिन के अंदर बारीकी से जांच करने के लिए कहा है। इसके साथ ही बाइडेन ने वुहान लैब से वायरस निकलने की आशंका को लेकर भी जांच के आदेश दिए है। 

अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ.एंथनी फॉसी ने विश्व हेल्थ संगठन (WHO) से कोरोना की उत्पत्ति को लेकर जांच आगे बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वायरस कहां से आया इस बारे में हमारे पास 100 प्रतिशत जानकारी नहीं है। इसलिए सच को सामने लाने के लिए WHO की जांच को एक लेवल ऊपर ले जाना चाहिए। कुछ दिनों पहले इशारों में कहा था कि कोरोनावायरस की शुरुआत की जांच की जानी चाहिए और इस मामले में किसी थ्योरी को खारिज नहीं किया जा सकता। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के समय भी डॉक्टर फॉसी जांच की बात कर चुके हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोरोनावायरस की जांच वाले विषय को लेकर कहा कि हमें अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की मदद चाहिए। हम उन सभी देशों के साथ सहयोग करेंगे जो वायरस की सही ढंग से जांच कराना चाहते हैं। इससे चीन पर पारदर्शी और अंतर्राष्ट्रीय जांच में भाग लेने का दबाव डालने में आसानी होगी। बता दें कि डोनाल्ड ट्रम्प जब राष्ट्रपति थे, तब उन्होंने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा था कि कोरोनावायरस को चीनी वायरस कहा जाना चाहिए, क्योंकि यह चीन से निकला और चीन ने ही इसे फैलाया। ट्रंप ने WHO को चीन की कठपुतली भी कहा था। उन्होंने इस संगठन की फंडिंग रोक दी थी। बाइडेन ने इसे फिर शुरू कर दिया है। WHO ने चीन को बड़ी आसानी से क्लीन चिट दे दी थी। अब अमेरिका के सख्त रुख के बाद WHO पर दबाव बढ़ेगा, क्योंकि दूसरे देश भी उससे जवाब मांगेंगे।

ऑस्‍ट्रेलिया की मीडिया ने एक कदम आगे बढ़कर ये दावा किया था कि चीन सालों से कोरोना वायरस पर शोध कर रहा है। चीन, कोरोना वायरस को एक जैविक हथियार के रूप में इस्‍तेमाल करना चाहता था। ‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ ने अपने एक लेख में चीन को लेकर यह चौंकाने वाला दावा किया था। दरअसल, द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन ने आरोप चीन के एक रिसर्च पेपर को आधार बनाकर लगाए हैं। इस रिसर्च पेपर में कहा गया है कि चीन 2015 से सार्स वायरस की मदद से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा था।

चीन की जिस लैब से नोवल कोरोनावायरस के फैलने का दावा किया जा रहा है उसका नाम वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) है। पहले इसका नाम वुहान माइक्रो बायोलॉजी लेबरोटरी था। इसकी स्थापना 1956 में की गई थी। 1978 में इसका नाम वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी रखा गया था। ये लैब वर्ल्ड क्लास रिसर्च के लिए पहचानी जाती है। इस लैब में लंबे समय से चमगादड़ों में मौजूद कोरोनावायरस को लेकर रिसर्च चल रही थी। 2015 में इस इंस्टिट्यूट ने एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया। इस पेपर में दावा किया गया कि चमगादड़ में मौजूद कोरोना वायरस इंसानों में ट्रांसफर हो सकता है। 2017 में भी इसी तरह की एक रिसर्च सामने आई थी।

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