26/11: शहीद तुकाराम की बेटी को आज भी है पिता का इंतजार

26/11: शहीद तुकाराम की बेटी को आज भी है पिता का इंतजार

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-26 06:47 GMT
26/11: शहीद तुकाराम की बेटी को आज भी है पिता का इंतजार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। 26/11 के मुंबई हमले को आज 9 साल हो गए हैं। इस महले में 166 बेकसूर लोग मारे गए थे। महानगर के अलग-अलग हिस्सों को खून से लाल करने वाले 10 आतंकियों के साथ मुंबई पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) ने 57 घंटों तक आतंकियों से लोहा लिया था। मुठभेड़ में 10 में से 9 आतंकी मारे गए थे और पुलिस, एटीएस और एनएसजी के 11 जवान शहीद हो गए थे। सभी शहीदों को हम याद करते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा 10वें आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने वाले शहीद पुलिसकर्मी तुकाराम ओम्बले की होती है। तुकाराम वो जांबाज पुलिसकर्मी थे जो एक मात्र बचे आतंकी को जिंदा पकड़ने के लिए शहीद हो गए। दरअसल कसाब जब पुलिसकर्मियों पर फायरिंग करने की कोशिश करने लगा तो तुकाराम ने सारी गोलियां अपने सीने पर झेल ली थीं।  तुकाराम की इसी शहादत की वजह से ही कसाब को जिंदा पकड़ा गया।  

                                  

परिवार को है बहादुरी पर गर्व

शहीद हुए पुलिसकर्मी तुकाराम ओम्बले की बेटी वैशाली ओम्बले का कहना है कि इस आतंकी हमले को भले ही 9 साल गुजर गए हैं, लेकिन अब भी परिवार को ऐसा लगता है कि वो घर लौटेंगे। बरसी पर वैशाली ओम्बले नम आंखों से अपने पिता को याद करते हुए कहती हैं कि हम महसूस करते हैं कि पापा किसी भी क्षण घर लौट आएंगे, हालांकि हमें ये पता है कि वो अब कभी नहीं आएंगे।

                           

एम-एड की पढ़ाई कर चुकीं वैशाली शिक्षिका बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा, "हम अक्सर यह सोचा करते हैं कि पापा ड्यूटी पर गए हैं और वो घर लौटकर आएंगे। हमने उनके सामानों को घर में उन्हीं जगहों पर रखा है जहां वो पहले रखते थे। उनके सर्वोच्च बलिदान पर हमारे परिवार को गर्व है।" तुकाराम मुंबई पुलिस में सहायक उप निरीक्षक थे।
 

                           

तुकाराम की बेटी वैशाली ने कहा कि हर रोज उनकी याद आती है। हमारा एक भी दिन, एक भी मिनट ऐसा नहीं गया जब उनकी याद न आई हो। पापा हमेशा बोलते थे कि मुझे कुछ नहीं होगा। हमारा सब कुछ पापा ही थे जो सहारा थे वो पापा ही थे।

आज तुकाराम ओम्बले की बहादुरी पर उनके परिवार के साथ-साथ पूरे मुल्क को नाज है। उन्होंने खाली हाथ वो कर दिखाया जो अमूमन किसी आम इंसान के बस की बात नहीं होती। सरकार ने भी उनको अशोक चक्र से नवाजा, लेकिन इस शहीद के परिवार के लिए उनकी कमी की भरपाई करना किसी भी तरह मुमकिन नहीं। वो तो अपना सब कुछ देकर भी अपने पिता को वापस पाना चाहते हैं। तुकाराम तो अब कभी वापस नहीं आएंगे, लेकिन ये मुल्क उनकी कुर्बानी को हमेशा याद रखेगा।

                  

ऐसे ओम्बले अकेले टूट पड़े थे कसाब पर...

26 नवंबर की रात मरीन ड्राइव पर हेड कांस्टेबल तुकाराम ओंबले को वॉकी-टॉकी पर खबर मिली थी कि एक स्कोडा कार में सवार आतंकी गिरगांव चौपाटी की तरफ जा रहे हैं। तुकाराम ने फौरन कार का पीछा करना शुरू किया। चौपाटी के पास लगे बैरिकेड को देखकर आतंकवादियों ने कार को मोड़ने की कोशिश की, लेकिन कार डिवाइडर से टकरा गई। टक्कर के बाद अजमल कसाब गाड़ी से बाहर निकला, लेकिन इससे पहले की वो कुछ कर पाता तुकाराम ने उसे दबोच लिया और उसकी एके 47 पकड़ ली।

                   

बंदूक छुड़ाने के मकसद से अजमल कसाब ने ट्रिगर दबा दिया। गोलियों से छलनी होने के बावजूद तुकाराम ने कसाब को भागने का मौका नहीं दिया। अपनी जान न्यौछावर कर तुकाराम ने मुंबई हमलों के सबसे बड़े सबूत को तो देश के हवाले कर दिया, लेकिन अपने परिवार को हमेशा के लिए बेसहारा छोड़ गए।

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