वायुसेना चीफ बोले- कम समय में युद्ध जीतने के लिए तीनों सेना के बीच बने एक संयुक्त योजना
वायुसेना चीफ बोले- कम समय में युद्ध जीतने के लिए तीनों सेना के बीच बने एक संयुक्त योजना
- इंडियन एयरफोर्स के चीफ बीएस धनोआ ने सेना के तीनों विंग को एकजूट होने को लेकर बयान दिया है।
- धनोआ ने कहा कि इससे युद्ध को कम से कम समय में जीतने में मदद मिलेगी।
- धनोआ ने कहा कि एयरफोर्स
- नेवी और आर्मी के बीच एक संयुक्त योजना बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडियन एयरफोर्स के चीफ बीएस धनोआ ने तीनों सेनाओं के बीच संयुक्त योजना को लेकर बयान दिया है। धनोआ ने कहा कि एयरफोर्स, नेवी और आर्मी के बीच एक संयुक्त योजना बनाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए महत्वपूर्ण है कि एक कॉमन इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए। धनोआ ने कहा कि इससे युद्ध को कम से कम समय में जीतने में मदद मिलेगी। बता दें कि अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने इस मॉडल को अपना रखा है।
वायुसेना चीफ ने कहा, "एयरफोर्स तीनों सेनाओं के बीच जॉइंट प्लानिंग के समर्थन में है। अचानक आए खतरे की परिस्थिति में सेना का कोई अकेला अंग इससे पूरी तरह से निपटने में सक्षम नहीं होगा। इसलिए जरूरी है कि किसी भी चुनौती से प्रभावी ढ़ंग से निपटने के लिए एक ऐसी व्यवस्था तैयार की जाए, जिससे कम समय में इस तरह की परिस्थिति और युद्ध जीतने में मदद मिले। इससे सहयोगी सेवाओं का भी लाभ उठाया जा सकेगा।"
धनोआ ने कहा, "हमारी जरूरत एक संयुक्त योजना के लिए संस्थागत ढांचे की है। एयरफोर्स एक ऐसी सेवा है जो बाकी दो सेनाओं के साथ काम करने के लिए वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करती है। ऐसा इसलिए ताकि दोनों सेनाओं की क्षमता को बढ़ाया जा सके और उसमें मजबूती आ सके, लेकिन हमें मिलकर एक संयुक्त ढांचा तैयार करने की जरूरत है। जिससे की और बेहतर परिणाम मिल सके।"
बता दें कि सरकार और तीनों सेना के बीच यह मुद्दा उठता रहा है कि क्या भारत को एकीकृत युद्ध क्षेत्र कमानों का मॉडल अपनाना चाहिए? इसके तहत तीनों सेनाओं का पावर एक अधिकारी की कमान के अधीन होगा। इस साल अप्रैल में इस पर विचार करने को लेकर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में एक कमेटी गठित की थी। इस दौरान कमेटी ने दो युद्ध क्षेत्र कमान बिठाने पर विचार भी किया था। इसमें पाकिस्तान से निपटने के लिए एक पश्चिमी क्षेत्र में, वहीं चीन से निपटने के लिए दूसरा पूर्वी क्षेत्र में कमान बिठाने पर विचार किया था। हालांकि सरकार और सेना की तरफ से अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं कि ऐसा करने को लेकर सरकार गंभीर है या नहीं।