संघ के सर्वे में माना- अगड़ी जातियों ने बिगाड़ा तीन राज्यों की जीत का समीकरण

संघ के सर्वे में माना- अगड़ी जातियों ने बिगाड़ा तीन राज्यों की जीत का समीकरण

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-16 09:33 GMT
संघ के सर्वे में माना- अगड़ी जातियों ने बिगाड़ा तीन राज्यों की जीत का समीकरण
हाईलाइट
  • अगड़ी जातियों ने बदल दिया बीजेपी की जीत का समीकरण
  • तीन राज्यों में बीजेपी की हार पर संघ का मंथन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में नतीजे आने के बाद BJP ने तीन राज्यों में अपनी सत्ता गंवा दी है। जिन तीन राज्यों में BJP सत्ता में थी वहां अगड़ी जातियों ने जीत का समीकरण बदल दिया। इन राज्यों में पार्टी कैडर में उदासीनता, सरकारी नीतियां और अगड़ी जातियों का गुस्सा होना हार की बड़ी वजह माना जा रहा है। इसके साथ ही यहां कर्जमाफी, GST अमल में लाने का तरीका, SC/ST एक्ट, जिसे स्थानीय नेताओं ने नजरअंदाज किया।

संघ के आंतरिक सर्वे म यह बात उभर कर सामने आई है। संघ के भरोसेमंद सूत्र ने बताया कि SC/ST एक्ट बहाल करने के लिए विधेयक, जिसे केंद्र द्वारा इसके कड़े प्रावधान लाने के लिए पारित किया, इसका परिणाम यह हुआ कि BJP से अगड़ी जातियां नाराज हो गईं। मध्य प्रदेश में इस एक्ट के बहाल होने के बाद जीत की संभावनाओं का खासा नुकसान हुआ। इसमें पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान ग्वालियर-चंबल और मालवा क्षेत्र में हुआ। बिल पास होने की वजह से छत्तीसगढ़ में भी OBC वोटर नाराज हो गया।फीडबैक में यह भी पता चला है कि मतदान में ‘NOTA’ का बटन दबाने की वजह से भी पार्टी को खासा नुकसान हुआ। इसके मतलब यह हुआ वोट डालने के बाद भी उस शख्स के वोट पार्टी के खाते में नहीं गया। हालांकि NOTA बटन दबाने वाले सभी लोगों को पार्टी से मोहभंग होने वाला करार नहीं दिया जा सकता।

इसके साथ ही सिंधिया के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र मे इस साल आठ लोगों की मौत के बाद दलित संगठनों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुए। यहां की कुल 34 सीटों में से पार्टी को महज सात सीटों पर जीत मिल सकी जबकि साल 2013 में आंकड़ा 21 था। मध्य प्रदेश में NOTA की वजह से राज्य की कई सीटें प्रभावित हुईं। हालांकि दिल्ली में बैठे कई राजनेताओं का मानना है कि चुनाव में एंटी इनकम्बैंसी फैक्टर की वजह से हार हुई। मगर पार्टी ने राजस्थान औ मध्य प्रदेश में अच्छी टक्कर दी। RSS के मूल्यांकन में यह बात भी सामने आई कि तीनों राज्यों में BJP के मजबूत मुख्यमंत्री उम्मीदवार थे। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर भी नहीं थी।

Similar News