2019 में शिवसेना के साथ चुनाव लड़ना चाहती है बीजेपी : अमित शाह

2019 में शिवसेना के साथ चुनाव लड़ना चाहती है बीजेपी : अमित शाह

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-07 07:23 GMT
2019 में शिवसेना के साथ चुनाव लड़ना चाहती है बीजेपी : अमित शाह

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पिछले दिनों मोदी सरकार से नाराज होकर जहां टीडीपी एनडीए से अलग हो गई वहीं दूसरी ओर शिवसेना और बीजेपी के खट्टे-मीठे रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अब शिवसेना से बिगड़ते रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव शिवसेना के साथ मिलकर लड़ने की इच्छा जताई है। शाह ने कहा कि बीजेपी और शिवसेना का रिश्ता बहुत पुराना है और आगे भी इसी तरह इस रिश्ते को बरकरार रखने की उनकी कोशिश है। इस दौरान अमित शाह शिवसेना द्वारा सरकार पर लगातार किए जा रहे हमलों के सवालों से बचते नजर आए।

ध्यान रहे कि शिवसेना, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी है. 80 के दशक में जब भाजपा अन्य दलों के लिए अछूत थी, तब शिवसेना के तत्तकालीन सुप्रीमो बाल ठाकरे ने भाजपा का सबसे पहले साथ दिया था. पिछले लोकसभा चुनाव तक दोनों दलों के बीच सब कुछ ठीक था, लेकिन विधानसभा चुनाव दोनों दलों ने लग अलग लड़ा, बाद में मिलकर सरकार बनाई. इसके बाद नगर निगम चुनावों में दोनों फिर अलग हो गए. कुछ दिन पहले ही शिवसेना 2019 का लोकसभा चुनाव अलग लड़ने का एलान कर चुकी है. इसके बाद भाजपा की चिंता बढ़ गई है. 

शाह के बयान के क्या हैं मायने

बीजेपी और शिवसेना का रिश्ता काफी पुराना है। दोनों ही पार्टियों ने एक साथ अच्छे और बुरे दिन देखे हैं इसलिए बीजेपी नहीं चाहती कि सबसे पुराने सहयोगी से संबंधों में दरार आए। आगामी चुनावों को देखते हुए भी बीजेपी को चिंता है कि अलग-अलग चुनाव लड़ने से कहीं न कहीं दोनों ही पार्टियों को नुकसान का सामना करना पड़ेगा क्योंकि दोनों ही पार्टियां करीब-करीब एक ही विचारधारा से ताल्लुक रखती हैं। ऐसे में बीजेपी आगामी चुनावों में किसी भी प्रकार का जोखिम उठाने से बचना चाहेगी।

 



विपक्ष के एकजुट होने से खतरा 

एनडीए में जहां फूट देखी जा रही है वहीं दूसरी ओर विपक्ष बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए एकजुट होने की बात कह रहा है। सभी विपक्षी दल अगर एकजुट होते हैं तो कहीं न कहीं सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए ये एक चिंता का  विषय होगा। ऐसे में बीजेपी नहीं चाहेगी कि जो पार्टियां सालों से उसका साथ देती आ रही हैं वो चुनाव से पहले उसका साथ छोड़ दें। टीडीपी पहले ही बीजेपी का साथ छोड़ चुकी है इसलिए सरकार अब शिवसेना को साधती नजर आ रही है।

कांग्रेस मुक्त भारत के सपने में अड़चन

बीजेपी लगातार कांग्रेस मुक्त भारत निर्माण की बात कहती नजर आती है और करीब-करीब इस दिशा में पार्टी को सफलता मिलती भी दिखाई दे रही है लेकिन विपक्षी दलों की नाराजगी के साथ इस सपने को पूरी तरह साकार करना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को एक अप्रत्याशित जीत मिली थी लेकिन इस जीत को एक बार फिर 2019 में दोहराना बीजेपी के लिए थोड़ा मुश्किल नजर आ रहा है इसलिए सहयोगी दलों का साथ बीजेपी के लिए काफी जरूरी माना जा रहा है।

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