किसान आंदोलन: SC की दो दिन पहले बनी कमेटी से अलग हुए BKU नेता भूपिंदर सिंह मान, कहा- कभी नहीं जा सकता किसानों के खिलाफ

किसान आंदोलन: SC की दो दिन पहले बनी कमेटी से अलग हुए BKU नेता भूपिंदर सिंह मान, कहा- कभी नहीं जा सकता किसानों के खिलाफ

Bhaskar Hindi
Update: 2021-01-14 12:50 GMT
किसान आंदोलन: SC की दो दिन पहले बनी कमेटी से अलग हुए BKU नेता भूपिंदर सिंह मान, कहा- कभी नहीं जा सकता किसानों के खिलाफ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कृषि कानूूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े किसान 50 दिन से लगातार दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। कड़ाके की ठंड के बाद भी किसान यहां डटे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक तीनों काले कानून वापस नहीं लिए जाते हम यहीं बैठे रहेंगे। इस बीच कृषि कानूनों पर किसानों से बातचीत के लिए 2 दिन पहले बनाई गई कमेटी से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने अपना नाम वापस ले लिया है।

उनका कहना है कि वह किसानों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे और उनके हितों के खिलाफ कभी नहीं जाएंगे। फैसले की वजह बताने के लिए उन्होंने एक प्रेस रिलीज जारी की है।दरअसल, भूपिंदर सिंह मान के नाम पर शुरू से बवाल हो रहा था। आंदोलन कर रहे किसानों का कहना था कि भूपिंदर सिंह मान पहले ही तीनों कृषि कानून का समर्थन कर चुके हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने के बाद 15 जनवरी को होने वाली बैठक पर अनिश्चितता का माहौल है।

किसी भी पद की बलि दे सकता हूं: भूपिंदर सिंह
भूपिंदर सिंह मान ने कमेटी में शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया। उन्होंने कोर्ट को लिखे पत्र में कहा कि एक किसान और संगठन का नेता होने के नाते मैं किसानों की भावना जानता हूं मैं अपने किसानों और पंजाब के प्रति वफादार हूं। इन के हितों से कभी कोई समझौता नहीं कर सकता। मैं इसके लिए कितने भी बड़े पद या सम्मान की बलि चढ़ा सकता हूं। मैं कोर्ट की ओर से दी गई जिम्मेदारी नहीं निभा सकता। मैं खुद को इस कमेटी से अलग करता हूं।

भूपिंदर सिंह मान को BKU ने अपने संगठन से किया अलग
पंजाब के खन्ना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भारतीय किसान यूनियन ने भूपिंदर सिंह मान को अपने संगठन से अलग करने का ऐलान किया है। इससे पहले भूपिंदर सिंह मान ने अपने आपको सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई कमेटी से अलग कर लिया।

कौन हैं भूपिंदर सिंह मान
सुप्रीम कोर्ट ने किसान और सरकार के बीच गतिरोध को खत्म करके समाधान निकालने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई है। इस कमेटी में ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख और पूर्व राज्यसभा सांसद भूपिंदर सिंह मान को भी शामिल किया गया था। उनका संगठन के तहत कई किसान संगठन आते हैं, ऐसे में किसानों पर उनका प्रभाव भी अच्छा है।

भूपिंदर सिंह मान की समिति कृषि कानूनों का समर्थन कर चुकी
सितंबर 1939 को गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) में पैदा हुए सरदार भूपिंदर सिंह मान किसानों के लिए हमेशा काम करते रहे हैं। इस वजह से राष्ट्रपति ने 1990 में उन्हें राज्यसभा में नामांकित किया था। वे अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के चेयरमैन भी हैं। मान को कृषि कानूनों पर कुछ आपत्तियां हैं। उनकी समिति ने 14 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कुछ आपत्तियों के साथ कृषि कानूनों का समर्थन किया था। पत्र में लिखा था, ‘आज भारत की कृषि व्‍यवस्‍था को मुक्‍त करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में जो तीन कानून पारित किए गए हैं, हम उन कानूनों के पक्ष में सरकार का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं।’

सुप्रीम कोर्ट ने इन चार लोगों की बनाई है कमेटी

  1. प्रमोद जोशी- नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रिकल्चर रिसर्च मैनेजमेंट के डायरेक्टर रह चुके प्रमोद कुमार जोशी को आर्थिक-कृषि मामलों का जानकार माना जाता है।
  2. अनिल घनवंत- महाराष्ट्र के बहुचर्चित शेतकारी संगठन के प्रमुख अनिल घनवंत की किसानों पर पकड़ मानी जाती है। इस संगठन की शुरुआत किसान नेता शरद जोशी ने की थी, जिनकी मांग थी कि किसानों को खुले बाजार में आने का अवसर मिले।
  3. अशोक गुलाटी- कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी ICRIER में तीन साल प्रोफेसर रह चुके हैं। भारत सरकार को MSP के मुद्दे पर सलाह देने वाली कमेटी के सदस्य भी रह चुके हैं, 2015 में उन्हें पद्म श्री सम्मान दिया गया।
  4. भूपिंदर सिंह मान- पूर्व राज्यसभा सांसद भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही वह ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख भी हैं।

क्यों हो रहा है विवाद
किसान संगठनों का आरोप है कि वो सभी नए कृषि कानून के समर्थक हैं और वक्त-वक्त पर इनका समर्थन करते आए हैं। ऐसे में किसान संगठनों ने कमेटी की पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दलों का साथ ही किसानों को मिला है।
 

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